इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को मथुरा के जवाहर बाग मामले की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार से कई अहम सवाल किए। यह याचिका दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेता अश्विनी उपाध्याय ने डाली थी, अश्वनी भाजपा नेता के साथ ही पेशे से एक वकील भी हैं।
हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से किये 5 अहम सवालः
- आरोपी रामवृक्ष यादव के खिलाफ 1 जनवरी 2014 से अब तक कितनी एफआईआर दर्ज हुई है, और कितनी चार्जशीट फाइल की गई है?
- मथुरा में जनवरी 2014 से अबतक कौन-कौन डीएम, एसपी पोस्टेड थे? उन्होंने पार्क को खाली कराने के लिये क्या कदम उठाये?
- जवाहर बाग जो कि एक पब्लिक पार्क है उसे रामवृक्ष को धरना-प्रदर्शन के लिये क्यों दिया गया था?
- रामवृक्ष को पार्क को किन शर्तों पर दिया गया था और दो दिन बाद खाली क्यों नहीं कराया गया?
- इस विषय में मथुरा प्रशासन ने प्रमुख सचिव और गृह सचिव को कितनी बार सूचित किया था और उन्होंने क्या कार्यवाही की?
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगली तारीख 1 अगस्त को दी है। यूपी सरकार को इन सभी सवालों के जवाब कोर्ट की अगली तारीख तक हाई कोर्ट को देने हैं।
प्रदेश सरकार नहीं कर रही निष्पक्ष जांचः
- सुनवाई के दौरान अश्विनी ने कोर्ट में कहा की जवाहर बाग की यह घटना राजनेताओं और रामवृक्ष की मिलीभगत का नतीजा है।
- अश्विनी ने कहा कि मथुरा कांड सिर्फ कानून व्यवस्था खराब होने भर का मामला नहीं है।
- बल्कि ये एक सोची समझी रणनीति के तहत बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का बड़ा मामला है।
- अश्विनी ने सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में यूपी से सीएम के रिश्तेदार मंत्री और एक सांसद की मिलीभगत है।
- अश्विनि ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि इस मामले में प्रदेश सरकार निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
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