उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित हाई कोर्ट ने होमगार्डों को पुलिस कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के समान ड्यूटी भत्ता देने पर राज्य सरकार को तीन महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

1 लाख 18 हजार होमगार्डों को मिलेगा आर्थिक लाभ:

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सूबे के होमगार्डों को कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के समान ड्यूटी भत्ता देने के लिए सूबे की सरकार को निर्देश दिए हैं।
  • हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद से सूबे के करीब 1 लाख 18 हजार होमगार्डों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
  • हालाँकि, कोर्ट ने होमगार्डों को रेग्युलर सैलरी की मांग को ख़ारिज कर दी, लेकिन होमगार्डों की सेवा पर कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि उन्हें रोज का इतना भत्ता दिया जाये जो एक कांस्टेबल की न्यूनतम सैलरी से कम न हो।
  • यह निर्णय न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की पीठ ने दिया।
  • याचिका पर होमगार्डों की ओर से पैरवी कर रहे वकील विजय गौतम ने दलील दी कि, होमगार्ड के रूप में वो वही काम कर रहे हैं, जो एक कांस्टेबल करता है।
  • हाई कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार द्वारा एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया था।
  • कमेटी को इस बारे में फैसला लेना था कि, होमगार्डों को एक कांस्टेबल के समान वेतन क्यों न दिया जाये।
  • कमेटी रिपोर्ट में कहा गया था कि, 14 जनवरी 2013 की बैठक में होमगार्ड को कांस्टेबल के बराबर नहीं माना गया था।
  • राज्य द्वारा होमगार्ड की सेवा अधिनियम 1963 के तहत ली जाती है।
  • हालाँकि, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपना फैसला दिया।
  • गौरतलब है कि, होमगार्डों का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्वैच्छिक नागरिक संगठन के साथ स्थानीय सुरक्षा के लिए किया गया था।
  • इसलिए कोर्ट ने होमगार्ड के नाम और उनके काम के हिसाब उन्हें कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के हिसाब से भत्ता दिया जायेगा।
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