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बुआ-बबुआ ने थामा कांग्रेस का ‘हाथ’, फिर साथ आए ‘यूपी के लड़के’

Alliance in 2019 Lok Sabha Elections Between SP BSP and Congress

Alliance in 2019 Lok Sabha Elections Between SP BSP and Congress

बहुजन समाज पार्टी के बाद अब सपा ने भी एमपी में कांग्रेस के समर्थन का ऐलान कर दिया है, पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बुधवार को कहा कि मध्य प्रदेश में वो कांग्रेस के साथ है और भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है। बता दें कि सभी 230 सीटों पर परिणाम आने के बाद कांग्रेस को 114, भाजपा के 109, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को दो, समाजवादी पार्टी को एक और निर्दलीय उम्मीदवारों को चार सीटें मिली हैं। इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ऐलान कर दिया है कि वो एमपी में कांग्रेस का समर्थन करेंगी, जिसके बाद अब कांग्रेस मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का दावा आसानी से पेश कर सकती है। माया ने कहा कि रिजल्ट दिखाता है कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में जनता बीजेपी के विरोध में है।

इसी के साथ ये भी साफ़ हो गया कि 2019 आम चुनावों में गठबंधन की सूरत कैसी होगी। मायावती ने कांग्रेस को ये कहते हुए समर्थन दिया है कि बीजेपी को रोकने के लिए जोभी करना पड़ेगा करेंगी और जो मायावती अभी ऐसा कह रही हैं, ज़ाहिर सी बात है वो 2019 में भी इससे नहीं हिचकेंगी। वहीं, 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का भी ऐसा ही रुख जान पड़ता है। इससे और विपक्षी एकता मंच पर राहुल के साथ लगातार नज़र आ रहे लेफ्ट समेत बाकी के तमाम विपक्षी दलों के नेताओं की तस्वीर से ये साफ़ हो गया है कि 2019 की लड़ाई राहुल के संभावित महागठबंधन बनाम मोदी की बीजेपी की होगी।

तो वहीं 109 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी है, पहले खबर आई थी कि भाजपा भी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है और सीएम शिवराज सिंह चौहान इस बारे में मीटिंग कर रहे थे लेकिन अब सीएम शिवराज सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि वो दावा पेश नहीं कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि हमें बहुमत नहीं मिला है, हम सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे, जनता के फैसले का सम्मान करता हूं, अब मैं मुक्त हूं, मैंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। हार की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरी है, मैंने कमलनाथ जी को बधाई दी। विकल्प की कमी में लोगों ने कांग्रेस को स्वीकार किया है, हालांकि कांग्रेस की नीतियों से मैं सहमत नहीं लेकिन फिर भी जनता का मूड देखते हुए हमारी पार्टी बसपा, एम पी में कांग्रेस का सपोर्ट करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो हम राजस्थान में भी साथ जाएंगे।

कहते हैं कि ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है। पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद राहुल गांधी की कांग्रेस के साथ कुछ ऐसा ही होता नज़र आ रहा है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने जैसे ही कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया, वैसे ही समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी साफ़ कर दिया कि उनकी पार्टी भी कांग्रेस के साथ जाने को तैयार है। कांग्रेस के मामले में जिस एक राज्य मध्य प्रदेश में सरकार बनने का मसला अटका पड़ा था वो सपा और बसपा के समर्थन से निकल पड़ा।

उत्तर प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ लड़ने वाले राज्य के पूर्व सीएम अखिलेश ने ट्विट कर लिखा, “समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन करती हैं।” इसी के साथ यूपी चुनाव में बीजेपी के हाथों मिली करारी हार के बाद अलग हुई दोनों पार्टियां एक बार फिर से साथ आ गई हैं और ये स्थिति कुछ-कुछ यूपीए जैसी हो गई है जिसमें कांग्रेस को इन दोनों पार्टियों का बाहरी समर्थन प्राप्त था। हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्य- छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पहले दो में तो कांग्रेस को अपने बूते बहुमत हासिल हो गया लेकिन तीसरे में वो दो सीटों से बहुमत का जादुई आंकडा छूते-छूते रह गई।

ऐसे में अटकलों का बाज़ार ऐसी बातों को लेकर गर्म हो गया कि क्या राज्यपाल एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस की जगह बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे, क्या फिर से विधायकों की ख़रीद-फरोख्त का सिलसिला शुरू होगा और इन्हीं सवालों के बीच ये सावल भी बना हुआ था कि मायावती का हाथी किस करवट बैठेगा और अखिलेश की साइकिल की सवारी किसे नसीब होगी? लेकिन इस मामले में दो राहत भरी बातें रहीं। पहली कि राज्यपाल द्वार किए जा सकने वाले किसी खेल और विधायकों की ख़रीद-फरोख्त से लेकर सपा-बसपा के समर्थन से जुड़े तमाम सावलों के जवाब मिल गए। दूसरी ये कि ये सारे जवाब नतीजों के ठीक अगले दिन ही मिल गए, जिससे किसी को इन अटकलों में अटके नहीं रहना पड़ा।

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