Political History of Katehari : कटेहरी विधानसभा का इतिहास उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1962 में अस्तित्व में आया, जब इसका नाम पहले मिझौड़ा था। कटेहरी विधानसभा ने अपने 66 साल के राजनीतिक सफर में कई बदलाव देखे हैं, और इस दौरान 16 सामान्य चुनाव हो चुके हैं। अब, पहली बार कटेहरी विधानसभा में उपचुनाव हो रहा है, जो इस सीट के लिए एक ऐतिहासिक घटना है।
कटेहरी विधानसभा से समाजवादी पार्टी उम्मीदवार शोभावती वर्मा का राजनीतिक सफर
राजनीतिक बदलाव और प्रतिनिधित्व Political History of Katehari
कटेहरी विधानसभा क्षेत्र ने 66 सालों में नौ अलग-अलग विधायकों को चुना है। यह क्षेत्र कई राजनीतिक दलों के प्रभाव में रहा है, जिसमें निर्दलीय उम्मीदवारों से लेकर कांग्रेस, भाजपा, जनता दल, बसपा, और सपा के प्रत्याशी शामिल रहे हैं।
पहली बार 1962 में निर्दलीय महादेव ने यहां से जीत हासिल की थी। इसके बाद कांग्रेस का प्रभुत्व रहा, जिसने 1967, 1969 और 1974 के चुनावों में जीत दर्ज की। 1977 से 1989 तक जनता पार्टी और जनता दल का दबदबा रहा, जिसमें रविन्द्र नाथ तिवारी ने तीन बार चुनाव जीता।
1990 के दशक में भाजपा और बसपा ने इस सीट पर बारी-बारी से जीत हासिल की। 1993 से 2007 तक बसपा के धर्मराज निषाद और राम देव वर्मा ने यहां से लगातार जीत दर्ज की। 2012 में सपा के शंखलाल मांझी ने जीत हासिल की, जबकि 2017 और 2022 में सपा और बसपा के लालजी वर्मा का दबदबा रहा।
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प्रमुख विधायकों की सूची:
1. 1962 – निर्दलीय महादेव
2. 1967 – कांग्रेस के राम नारायण
3. 1969 – कांग्रेस के भगवती प्रसाद शुक्ल
4. 1974 – कांग्रेस के भगवती प्रसाद शुक्ल (दोबारा)
5. 1977 – जनता पार्टी के रविन्द्र नाथ तिवारी
6. 1980 – कांग्रेस के जिया राम शुक्ल
7. 1985 – जनता दल के रविन्द्र नाथ तिवारी
8. 1989 – जनता दल के रविन्द्र नाथ तिवारी (तीसरी बार)
9. 1991 – भाजपा के अनिल तिवारी
10. 1993 – बसपा के राम देव वर्मा
11. 1996 – बसपा के धर्मराज निषाद
12. 2002 – बसपा के धर्मराज निषाद (दूसरी बार)
13. 2007 – बसपा के धर्मराज निषाद (तीसरी बार)
14. 2012 – सपा के शंखलाल मांझी
15. 2017 – बसपा के लालजी वर्मा
16. 2022 – सपा के लालजी वर्मा
दलों का प्रभुत्व
कटेहरी विधानसभा का राजनीतिक परिदृश्य समय-समय पर बदलता रहा है। शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन जैसे-जैसे क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण बदलते गए, अन्य दलों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 1977 से 1989 तक जनता दल का प्रभाव रहा, जबकि 1990 के दशक में भाजपा ने अपना प्रभुत्व बढ़ाया। इसके बाद, बसपा ने 1993 से 2007 तक कई बार चुनाव जीतकर अपना वर्चस्व स्थापित किया।
2012 में सपा के शंखलाल मांझी ने जीत दर्ज की, जबकि 2017 में फिर से बसपा के लालजी वर्मा ने यह सीट जीती। 2022 के चुनावों में लालजी वर्मा ने सपा के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की, जो एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव था।
पहली बार उपचुनाव
कटेहरी विधानसभा में पहली बार उपचुनाव हो रहा है। यह उपचुनाव तब आवश्यक हुआ जब सपा के लालजी वर्मा ने 2022 में जीत दर्ज की, लेकिन कुछ परिस्थितियों के चलते सीट खाली हो गई। अब इस सीट के लिए उपचुनाव होने जा रहा है, जो क्षेत्र के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
कटेहरी विधानसभा का 66 साल का लंबा इतिहास विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं के उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। यह क्षेत्र राजनीति के बदलते समीकरणों का साक्षी रहा है और उपचुनाव के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि किस दल या नेता को इस बार जनता का समर्थन मिलता है।
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