उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 108 एम्बुलेंस सेवा लापरवाही की भेंट चढ़ती जा रही है। लापरवाह कर्मचारियों की वजह से ये सेवा अक्सर सुर्खियों में बनी रहती है। ताजा मामला यूपी के कन्नौज जिला का है। आरोप है कि यहां की खटारा हो चुकी एम्बुलेंस में ना तो ऑक्सीजन है और ना ही सही स्ट्रैक्चर है। जो स्ट्रैक्चर है वो भी टूटा हुआ है। एम्बुलेंस में ना ही कोई फर्स्ट एड किट या टूल है। ऐसे में मरीजों की जिंदगी भगवान भरोसे ही हैं। बिना स्ट्रेचर मरीज पैदल चलकर परिजन हाथ में ग्लूकोज की बोतल लिए अस्पताल पहुंचते है।
108 एम्बुलेंस जैसे-तैसे करके घायल युवक को जिला अस्पताल लेकर आई जिसके बाद मरीज को एम्बुलेंस से करीब 50 मीटर पहले ही उतार दिया। मरीज को पैदल चलकर जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचना पड़ा। परिजन घायल को ग्लूकोज की बोतल पकड़कर अंदर लेकर जा रहे। पता चला कि एम्बुलेंस में स्ट्रेचर टूटा हुआ है। कई बार इसकी शिकायत की एम्बुलेंस कर्मी ने हमें एम्बुलेंस का हाल भी बताया जिसमे ऑक्सीजन सिलेंडर तो है पर उसमे ऑक्सीजन नहीं है स्ट्रेचर तो है पर वो टूटा है और कोई भी टूल नहीं ऐसे मरीजों की जान भगवन भरोसे है।
बता दें कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए नए मेडिकल कालेज खोलने की बात कर रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हकीकत अपना दर्द खुद बयां कर रही है 108 एंबुलेंस सेवा। जीवनदायनी के नाम से जाने जाने वाली 108 एम्बुलेंस सेवा धीरे धीरे बद से बदतर होती जा रही है।