अमेठी: यह वाकई दुर्भाग्य से कम नहीं माना जायेगा कि शाम ढलते ही अमेठी में मयज़दों की तादाद में ज़मकर इज़ाफा हो जाता है। मुसाफिरखाना में शाम के धुंधलके के बाद देर रात या यूँ कहें कि तारीख बदलने के बाद भी नशेड़ियों का आतंक सड़कों पर पसरा रहता है पर कोतवाली पुलिस पूरी तरह मौन ही अख्तियार किये रहती है।
‘रात को दिन’ तब्दील करते जरायमपेशा
रात जैसे-जैसे गहराती है वैसे-वैसे सभ्य समाज के वाशिंदे तो अपने-अपने घरों में दुबक जाते हैं पर जरायमपेशा लोगों का मानों दिन ही निकलता हो युवाओं की टोली तेज रफ्तार में तरह-तरह की कर्कश आवाज वाले मोटर साईकिल के साईलेंसर से भयानक किस्म की आवाजें निकालते हुए माहौल की शांति भंग करते नज़र आते हैं ।
दखल नहीं दे रही पुलिस
पता नहीं रात में पुलिस कहाँ गायब हो जाती है। देर रात सड़कों पर आवाजाही करने वालों से पूछताछ करने का काम भी पुलिस के द्वारा मानो बंद ही कर दिया गया है। रात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुसाफिरखाना व नहर के किनारे भी मयजदों की आवाजाही बनी रहती है। देर रात तक कानफाडू आवाज वाले साईलेंसर युक्त दो पहिया वाहनों के द्वारा निशा की नीरवता को भंग किया जाता है।
आबकारी विभाग भी नही निभाता जिम्मेदारी
अमेठी में देर रात तक मयखाने खुले रहते हैं। आसपास के ढाबों में अघोषित तौर पर शराब परोसी जा रही है ऐसा नहीं है कि पुलिस को इस बारे में जानकारियां नहीं हैं। बावजूद इसके पुलिस और आबकारी विभाग पूरी तरह से मौन क्यों है। इस बारे में दबी जुबानों से होने वाली चर्चाएं सही साबित होती दिखती हैं। अमेठी में रात के स्याह अंधकार में कौन सा शरीफ शहरी निकलकर अपनी नींद खराब करेगा? यह विचारणीय प्रश्न है जाहिर है कि रात में कोई जरूरतमंद या रात को नौकरी करने वाला (जो अमेठी में पत्रकारों के अलावा शायद ही कोई करता हो) सड़को पर रहता होगा। जाहिर है मयजदे और जरायमपेशा लोग ही रात के अंधकार में अपनी कारस्तानी को अंजाम देते होंगे।
असुरक्षित महसूस कर रही छात्राएं
लोग सहमे हुए हैं, जरायमपेशा लोग सिर उठा रहे हैं। सुबह और शाम को कोचिंग जाने वाली बालाएं अपने आप को शोहदों से असुरक्षित पा रहीं हैं। इन परिस्थितियों में अब कठोर कार्रवाई की उम्मीद लोगों के द्वारा की जा रही है। पुलिस की सख्ती आम लोगों के लिये परेशानी का सबब न बने इस बात को भी ध्यान में रखना जरूरी ही है।
ये है जनपेक्षा
जिला पुलिस अधीक्षक केके गहलोत की पदस्थापना को भी अब समय हो चला है। वे अब जिले की आबोहवा से दो-चार हो चुके होंगे। उनसे अपेक्षा है कि वे अमेठी की पुलिसिंग को चुस्त-दुरूस्त करें ताकि आम शहरी चैन की नींद सो सके।