एएमयू से पीएचडी कर रहे मन्नन वानी से उसके परिवार का संपर्क टूट गया था. फेसबुक और व्हॉट्सएप पर उसके हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने का मैसेज आया है. इस खुलासे ने देश में फिर से कश्मीर और वहां के युवाओं को लेकर छिड़ी बहस को बढ़ाने का काम किया है.ख़बरों के अनुसार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर ने आतंक का दामन थाम लिया है, उत्तरी कश्मीर के कुपवाडा जिले के लोलाब निवासी मन्नान वानी पांच जनवरी को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है, यह एएमयू से एमफिल करने के बाद एपलाइड जियोलॉजी विषय मे पीएचडी कर रहा था.
तो क्या पोस्टर बॉय बनाना है लक्ष्य
8 जुलाई 2016 को पुलवामा के त्राल में मारे गए बुरहान वानी के बाद बड़ी संख्या में कश्मीर के स्थानीय युवा हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुए थे . जम्मू-कश्मीर पुलिस के कुछ जवानों के शामिल होने से लेकर आतंकी कमांडरों के जनाजों तक कई बार स्थानीय आतंकियों के हिज्बुल में शामिल होने की खबरें भी आईं थी, लेकिन आर्मी के ताबड़तोड़ ऑपरेशंस के कारण कमांडरों की कमी से जूझ रहे हिज्बुल ने जिस तरह मन्नान को तरजीह दी. उसने इस बात की ओर इशारा किया है कि मन्नान को कश्मीर का दूसरा पोस्टर बॉय बनाने की कोई कोशिश की जा रही है. इसके पीछे का कारण यह है मन्नान का पढ़ा लिखा होना.
मुस्लिम युवाओं में लोकप्रिय होने का अंदेशा
टेक्नोक्रेसी और मुस्लिम युवाओं में मन्नान की लोकप्रियता को हिज्बुल उसी रूप में देख रहा है जिसे उसने बुरहान को दक्षिण कश्मीर का कमांडर बनाते समय देखा था. ऐसे में काफी हद तक ये संभव है कि मन्नान के जरिये हिज्बुल कश्मीर के अन्य युवाओं को आतंक की राह पर धकेलने की कोशिश में जुटा है.
तो आज मन्नान आतंक की राह पर आगे नहीं बढ़ता
एएमयू और प्रशासन यदि एक साल पहले के घटनाक्रम को गंभीरता से लेकर काम करता तो आज मन्नान वानी के हाथ में बंदूक न होती. घाटी में मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के पोस्टर एएमयू में बांटने के दौरान यहां से लेकर लखनऊ तक सूचना गई थी, लेकिन इसे दबा दिया गया. उस समय मन्नान की काउसंलिंग करा दी जाती तो शायद व जीवन के इस मोड पर आत्मघाती रास्ता न चुनता. पढ़े-लिखे युवाओं के आतंक के रास्ते पर जाने ने चिंता बढ़ा दी है.