मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को लाइलाज बीमारी माना जाता है. इसी घातक बिमारी से ग्रसित कानपुर की एक माँ बेटी ने महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को खून से पत्र लिख कर इच्छा म्रत्यु की मांग की है.
- माँ बेटी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा कि हम लोगो का इलाज कराया जाये या फिर इच्छा म्रत्यु दी जाये.
- मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी से ग्रसित दिव्यांग मां-बेटी इससे पहले पीएम मोदी को भी कई बार पत्र लिख चुकी है.
- जिसमें उन्होंने इलाज करने या फिर इच्छा मृत्यु देने की मांग की थी.
- लेकिन कई बार पत्र लिखने के बाद उन्हें पीएमओ कार्यालय से 50 हजार की मदद मिली थी.
- हालांकि ये रकम इस घातक बिमारी के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है.
- ऐसे में उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी निराशा ही हाँथ लगी थी.
जमापूंजी ख़त्म होने के बाद रिश्तेदारों ने भी किया किनारा-
- कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र के यशोदा नगर के शंकराचार्य नगर की निवासी हैं माँ बेटी.
- माँ शशि मिश्रा (58) बेटी अनामिका (32) का परिवार का जीवन यापन हंसी ख़ुशी से व्यतीत हो रहा था.
- अनामिका के पिता का लोहे का कारोबार था.
- मगर मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी ने वर्ष 1998 में अनामिका की माँ को अपनी चपेट में ले लिया.
- जिसके बाद उनकी इस बीमारी में अनामिका के पिता का बहुत रुपया खर्च हो गया.
- लेकिन इसके बाद भी उनकी यह बीमारी ठीक नही हुई.
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- हालत इस कदर बदतर हो गई के महंगा इलाज करा करा के अनामिका के पिता का भी निधन हो गए.
- पिता के निधन के बाद अनामिका घर की जमा पूंजी व् जमीन बेच कर माँ का इलाज कराती रही.
- इस बीच उसनें स्कूल और कोचिंग में पढ़कर माँ का इलाज कराया साथ ही घर का भी खर्चे चलाया.
- अनामिका साथ ही आईएएस की तैयारी कर रही थी.
- लेकिन 6 साल पहले उसे भी माँ की इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया.
- इसके बाद दोनों ही माँ बेटी एक कमरे में कैद हो कर रह गई हैं.
फानेशियल मदद नही, नौकरी की जरूरत है-
- अनामिका का कहना है कि मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेटर भेज कर मदद मांगी थी.
- मगर उनका कोई जवाब नही आया तो मैं रिमाइंदर भेजती रही.
- तब उनका एक जवाब आया कि मैंने यूपी गवर्मेंट को मदद के लिए कहा है.
- जिसके बाद मुझे 50 हजार की मदद मिली.
- लेकिन मुझे फानेशियल मदद नही चाहिए.
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- मुझे एक नौकरी की जरूरत है जिसके सहारे में अपना और अपनी माँकी मदद कर सकूँ.
- अनामिका का कहना है कि आर्थिक मदद से कोई कितने दिनों तक जीवन यापन कर सकता है.
- उन्होंने बताया कि मैंने पूर्व पत्र के माध्यम से मांग की थी की मुझे इलेक्ट्रानिक बेड ,इलेक्ट्रानिक व्हील चेयर और जॉब की मदद दी जाये.
- उन्होंने बताया कि मैंने पांच से साल से बाहर की दुनिया नही देखी है.
- पिछले पांच सालों से यह कमरा ही मेरा और मेरी माँ का संसार है.
- ऐसे में जब हमारी कोई मदद नही हो सकती है और हम कुछ कर नही सकते हैतब मैंने राष्ट्रपति जी से जी मर्सी किलिंग की अपील की है.
पीएम एवं पूर्व राष्ट्रपति को भी लिख चुकी है पत्र-
- अनामिका ने बताया कि उसने पीएम व् पूर्व राष्ट्रपति को पत्र लिख कर इच्छा म्रत्यु की मांग की थी.
- उस वक्त प्रदेश में सपा की सरकार थी तो अखिलेश यादव को भी पत्र लिखा था.
- सीएम कार्यालय से डेढ़ साल पहले 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई थी.
- लेकिन पीएमओ कार्यालय से कोई जवाब नही आया था.
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- दो दिन पहले मुझे पीएमओ कार्यालय से एक लेटर प्राप्त हुआ है.
- जिसमे 50 हजार की आर्थिक मदद व् दो बिमा पालसी देने की बात कही गई है.
- लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह 50 हजार रुपये मेरे किस काम के है.
- इससे हम माँ बेटी अपना इलाज भी तो नही करा सकते है.
- इस लिए हमने आज प्रधानमंत्री को लेटर लिखा है कि हमें यह भीख नही चाहिए.
- यदि आप को मेरी मदद करनी है तो हमारा इलाज कराये वर्ना हमें इच्छा म्रत्यु दे दें.
- अनामिका का कहना है मैं एक बार फिर से अपने पैरो पर खड़ा होना चाहती हूँ कुछ करना चाहती हूँ.
मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी का इलाज इण्डिया में नही-
- इस मामले में अखिल भारतीय उद्योग व्यापर मंडल के अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्रा से भी बातचीत की गई.
- ज्ञानेश मिश्रा के मुताबिक अनामिका के पिता की लोहा मार्कट में बड़ा व्यापार था.
- उन्होंने बताया कि इस परिवार को हमने गोद लिया है.
- हम इनकी पूरी मदद करते है.
- उन्होंने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी का इलाज इण्डिया में नही है.
- इसका इलाज यूके में है.
- हम लोग इतने सक्षम नही है की इनका इलाज वहा करा सके.
- इस लिए हम प्रधानमंत्री से निवेदन करते है कि उनकी 50 हजार की मदद न करके उनका इलाज कराये.