ददरी गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली टूटी फूटी सड़क, विकास का रास्ता हुआ उबड़ खाबड़
कहते हैं देश की खुशहाली का रास्ता गांवों से होकर गुजरता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से सांसद आदर्श ग्राम योजना का ऐलान किया था और पुरजोर प्रचार किया था कि यह महत्वाकांक्षी योजना भारत में ग्राम विकास का नया मॉडल लेकर सामने आएगी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हर एक सांसद प्रतिवर्ष अपने संसदीय क्षेत्र के एक गांव को गोद ले और उसे विकसित करने का काम करे। खुद प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लिया था।
- सांसद आदर्श ग्राम के तहत अन्य सांसदों ने भी अपने-अपने संसदीय क्षेत्र के गांवों को गोद लिया था।
- तब लोगों को उम्मीद जगी थी कि कुछ गांवों के तो भाग्य फिरेंगे! लेकिन उन उम्मीदों पर ही पानी फिर गया।
- सरकार कहती है सांसदों को निधि क्यों मिलती है!
- सांसदों को निधि विकास के लिए ही मिलती है,
- फिर अलग से और धन की आकांक्षा का क्या मतलब है!
- सरकार का भी कहना जायज है।
- सांसद निधि में भीषण कमीशनखोरी का पुराना स्वाद सांसद भूल नहीं पा रहे।
- इस वजह से सांसद आदर्श ग्राम योजना को सांसद ही फेल साबित करने पर लगे हैं।
गांव की तरफ मुड़ते ही नजर आती है टूटी फूटी सड़क
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने हलिया विकास खंड के ददरी गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए गोद लिया था। ददरी गांव को अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने नवंबर 2014 में Saansad Adarsh Gram Yojna (सांसद आदर्श ग्राम योजना) के तहत गोद लिया था। गांव को गोद लेने के दूसरे फेज में चुनार का बगही गांव भी भी चयन किया है। फिलहाल हम गोद लिए पहले गांव दादरी (Dadri) पर बात कर रहे हैं।
- मुख्य मार्ग से गांव की ओर मुड़ते ही सामना हुआ टूटी फूटी सड़क से,
- जो ददरी गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ती है।
- करीब 2 किलोमीटर लंबी इस सड़क की दशा देखकर आशंका हुई
- कि इस गांव में विकास का रास्ता कितना उबड़ खाबड़ होगा।
आज अपने सांसद आदर्श ग्राम ददरी, मिर्ज़ापुर में जनपद स्तरीय किसान मेला & कृषि प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया व उपस्थित जनमानस को सम्बोधित भी किया pic.twitter.com/ncZl4YT8st
— Anupriya Patel (@AnupriyaSPatel) October 22, 2017
2016 में स्कूल की इमारत का किया गया था कायकल्प
खैर सड़क पर हिचकोले खाती हमारी सवारी गांव में थोड़ी और आगे बढ़ी तो एक साफ-सुथरी और रंग रोगन की हुई इमारत दिखी तो उम्मीद जगी कि गांव के भीतर कुछ तो चमक है। पूछने पर पता चला कि ये सामुदायिक हॉल है, जहां गांव में शादी-विवाह के लिए बुकिंग होती है। गांव के लोगों के लिए ये एक बेहतर विकल्प है। गांव में प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें पांचवीं तक पढ़ाई होती है। हालांकि ये स्कूल सांसद के गांव गोद लेने के पहले हैं लेकिन ग्राम प्रधान धनन्जय पटेल का कहना है कि सांसद अनुप्रिया पटेल की मदद से 2016 में स्कूल की इमारत का कायकल्प किया गया।
- स्कूल में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है।
- गांव के बच्चे इसी स्कूल में पढ़ने आते हैं।
- हालांकि 5वीं कक्षा के बाद पढ़ाई के लिए बच्चों को गांव से बाहर जाना पड़ता है,
- जो कम से कम दो किलोमीटर दूर है।
https://www.uttarpradesh.org/rate-your-leader/sansad-adarsh-gram-yojana/anupriya-patel-sagy-adopted-village-bagahi-233336/
गांव अभी तक पूरी तरह खुले में नहीं हुआ शौच मुक्त
वहीं 8वीं के बाद लड़के-लड़कियों को पढ़ने के लिए बरौधा या फिर लालगंज जाना पड़ता है जो गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर है। स्वास्थ्य की बात करें तो सांसद के गोद लेने के बाद जब से ददरी अलग ग्राम सभा बना तब से गांव में कोई स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है।
- इसके लिए भी लोगों को बगल के गांव का सहारा लेना पड़ता है,
- जो पहले इसी गांव का हिस्सा हुआ करता था।
- टीकाकरण तो बगल के गांव में हो जाता है लेकिन महिलाओं की डिलिवरी हो
- फिर दूसरी बीमारी का इलाज इसके लिए गांव के लोगों को करीब 8-10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
- करीब 617 परिवार वाले ददरी गांव में स्वच्छ भारत के नाम पर पिछले 4 साल में करीब 300 टॉयलट बनाए गए हैं,
- यानी हर साल औसतन 75 टॉयलेट का निर्माण।
- गांव अभी तक पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त नहीं हुआ है।
- अब भी गांव की करीब 30 फीसदी आबादी खुले में शौच करने के लिए मजबूर है।
गांव को ODF की श्रेणी में लाने का किया था वायदा
हालांकि ग्राम प्रधान धनन्जय पटेल का कहना है कि सांसद अनुप्रिया पटेल के सहयोग से वो जल्द ही गांव को ODF की श्रेणी में लाएंगे इसके लिए जल्द ही 150 और टॉयलेट का निर्माण कराने की तैयारी है।
- पेयजल की बात करें तो गांव में हर घर में पानी की पाइप लाइन पहुंचा दी गई है,
- लेकिन पानी के स्टोर करने की अभी कोई व्यवस्था नही है।
- जब पंपिंग हाउस चलता है तो सीधे पानी लोगों के घर में पहुंचता है।
- ग्राम प्रधान के मुताबिक टंकी के निर्माण की योजना है
- जिसे जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा. पटेल बताते हैं कि 2016 में जब से वो प्रधान चुने गए हैं।
- सांसद अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने गांव के विकास के लिए काफी मदद की है।
- पहले गांव में कोई सुविधा नहीं थी लेकिन पहले की अपेक्षा अब काफी कुछ बदल गया है।
गोद लेने के बाद किया गया था गाँव का विकास
गांववालों की सुविधा के लिए एक शादी घर, दो आगनवाड़ी केन्द्र एक प्राइमरी पाठशाला है जिसका सौंदर्यीकरण गांव को गोद लेने के बाद किया गया. कुछ सोलर लाइटें भी सड़कों पर लगाई गई हैं। गांव को हरा-भरा रखने के लिये पौधारोपण भी किया गया है। गांव में सिंचाई के लिए कोई सरकारी संसाधन मौजूद नहीं है।
- लोगों को खुद के संसाधन से सिंचाई करनी पड़ती है।
- पहले गांव का तालाब ही लोगों की सिंचाई के पानी की जरूरत पूरा करता था
- लेकिन उचित रख-रखाव न होने से अब वो भी प्यासे हैं।
- तालाब की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है
- कि गांव के लोग या फिर हमारा तंत्र पानी के संरक्षण को लेकर कितने गंभीर है।
- किसानों को बीज और खाद खरीदने के लिए गांव में एक सहकारी केंद्र है,
- जहां से जरूरत के मुताबिक हर किसी को खाद बीज मिल जाता है।
- बैंकिंग सुविधा के लिए इलाहाबाद बैंक की एक शाखा गांव में खुली हुई है।
10 बिंदुओं के जरिए समझिए ददरी गांव की दशा
- 33 फीसदी लोग अब भी खुले में शौच करने को मजबूर
- सिंचाई के लिए कोई ट्यूबवेल नहीं, तालाब भी सूख चुका है
- गांव में साक्षरता –70-80 फीसदी
- गांव में युवतियों की शादी 18 साल से कम उम्र में नहीं होती.
- जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव बना हुआ है
- हर बच्चा स्कूल जाता है और गांव में कोई बाल मजदूरी नहीं कराता
- गांव में कुपोषण –13 बच्चे
- गांव के 60 फीसदी युवा रोजगार के लिए पलायन करने को मजबू
- अमूमन गांव के तमाम झगड़े थाने पर ही निपटते हैं
- पंचायती राज के तहत गांव में नियमित बैठक होती है लेकिन पूरे गांव की भागीदारी की कमी
- कोरम पूरा करने के लिए सदस्य भी बमुश्किल ही आते हैं
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