कहते हैं कि मजिंल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होती है। उत्तर प्रदेश की सरजमीं से जिन्दगीं का सफर शुरू करके अपने हौसलें के पखों के सहारे चार बार पर्वतों की ऊंचाइयों पर पहुंचने वाले अंतराष्ट्रीय पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी आज विश्व की पांचवी सबसे ऊंची चोटी मकालु को फतह करने के लिए रवाना होंगे।
अपने नाम के अनुरूप ही अर्जुन ने पर्वतों की ऊचाइयों को अपना लक्ष्य बनाया और मांउट एवरेस्ट को फतह करने वाले दुनिया के सबसे कम ऊम्र के पर्वतारोही बने। उन्होंने केवल 16 साल में ही मांउड एवरेस्ट को फतह कर लिया था। अर्जुन के इसी जुनून से प्रभावित होते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें उनके इस अभियान के लिए 30 लाख रूपयें दिये हैं।
अर्जुन इससे पहले भी तीन बार दुनिया की सबसी ऊंची चोटी मकालू को फतह करने का प्रयास कर चुके हैं। लेकिन पहली बार रस्सी कम पड़ जाने की वजह से, दूसरी बार साथी पर्वतारोही की मौत की वजह से व तीसरी बार किसी अन्य कारण की वजह से वह इस चोटी को फतह नहीं कर पाये। पिछली बार के अभियान में अर्जुन वाजपेयी का वजन 87 किलो था, लेकिन इस बार उन्होंने अपना वजन कम करके 67 किलों कर लिया है।
मकालू की चोटी फतह करने के इस अभियान में छह और विदेशी पर्वतारोही भी उनके साथ शामिल होंगे। इस बार के अभियान में सभी पर्वतारोहियों के शरीर में जीपीएस की तरह का उपकरण लगा होगा। वहीं वेबसाइड पर जाकर गूगल अर्थ के विकल्प पर क्लिक करके पर्वतारोहियों की स्थिति जानी जा सकेगी।