आगामी विधान सभा चुनाव 2017 को देखते हुए जहां सभी राजनैतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगी हुई हैं। वहीं ‘ऑल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को प्रदेश सरकार रैली करने के लिए परमिशन नहीं दे रही थी। सभी पार्टियों ने प्रदेश भर में रैलियां, जनसभाएं और तमाम यात्रायें की लेकिन ओवैसी को इसकी 39 बार परमिशन नहीं दी गई। इसमें 15 बार से अधिक बार पिछले साल परमिशन नहीं मिली है। ओवैसी की पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि सपा सरकार मुस्लिम वोट के चक्कर में डरी है, इसीलिए रैलियों की परमिशन नहीं दी गई।
मुख़्तार अंसारी को सपा में लेकर हुई थी रार
- बता दें ओवैसी के पास यूपी में मुस्लिम वोटों की काफी संख्या है।
- उनकी रैलियों में भी हजारों की भीड़ उन्हें सुनने के लिए आती है।
- इसी बात से सपा सरकार डरी हुई है।
- इस दौरान सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय करवाया।
- ताकि मुस्लिम वोट मिल जाएं लेकिन इसके बाद से सपा में घमासान शुरू हो गया जो आज तक ख़त्म नहीं हुआ।
- हालाकि विलय रद्द कर दिया गया लेकिन घमासान अभी तक जारी है।