नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह की कहानी तो आज जानते होंगे, लेकिन आज हम आपको पूर्वांचल के ‘यादव सिंह’ की कहानी बताएंगे। इस ‘यादव सिंह’ की कहानी जानने के बाद आप दंग रह जाएंगे। क्योंकि यहां सिर्फ इसी का सिक्का चलता है।
कौन है पूर्वांचल का ‘यादव सिंह’
पूर्वांचल का ‘यादव सिंह’ कोई और नहीं बल्कि कुशीनगर जिले में तैनात फॉर्मासिस्ट अशोक यादव है। इनके कारनामों से वाकिफ लोग इन्हें पूर्वांचल के यादव सिंह के नाम से ही जानते हैं। जिले से लेकर राजधानी लखनऊ तक इस ‘यादव सिंह’ की तूती बोलती है। कुशीनगर जनपद में कौन सीएमओ रहेगा यहीं निर्णय करता है। सत्ता का गलियारा हो या उच्च अधिकारियों के दफ्तर हर जगह इनका रसूक बोलता है। ये कितना भी भी बड़ा घोटाला क्यों न करे कोई भी सीएमओ इनके खिलाफ आवाज नहीं उठाता। उठाये भी तो कैसे, उसे भी तो मलाई दार जगह पर पोस्टिंग चाहिए। जनपद में पोस्टिंग और ट्रान्सफर में सचिवों से ज्यादा इस ‘यादव सिंह’ की चलती है।
तैनाती कहीं और, ड्यूटी कहीं और
अशोक यादव कुशीनगर के सीएमओ ऑफिस में अटैच है। यहां ये सीएमएसडी (औषधि भण्डारण एवं वितरण) के सर्वे सर्वा बना हुआ है। हालांकि इसकी मूल तैनाती पडरौना स्वास्थ्य केंद्र में क्षय रोग विभाग में फॉर्मासिस्ट के रूप में है, लेकिन 22 वर्षों से लगातार अटैच के रूप सीएमओ कार्यालय में जमे हुआ है और भ्रष्टाचारों की झड़ी लगा रखा है।
दो बार जेल जा चुका है यह ‘यादव सिंह’
अशोक यादव का इतना दबदबा इतना है कि भ्रष्टाचार और आय से अधिक सम्पति के आधा दर्जन मामलों पर जांच चलने और दो-दो बार जेल जाने के बाद भी कभी ट्रान्सफर तक नहीं हुआ।
420 के केस में जा चुका है जेल
एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दिए गए अनेक दस्तावेज uttarpradesh.org के पास है। जो इनके कारनामों को उजागर करता है। हालांकि uttarpradesh.org इन दस्तावेजों की प्रमाणिकता का दावा नहीं करता। दस्तावेजों के मुताबिक अशोक यादव ने 1996-97 में अपना ट्रान्सफर को रुकवाने के लिए तत्कालीन सीएमओ डॉ. शील कुमार सिंह का फर्जी हस्ताक्षर कर डीओ लेटर तैयार कर अपने जगह पर अशोक पाण्डेय का ट्रान्सफर करवा दिया। मामले का पता चलते ही सीएमओ ने पडरौना कोतवाली में इनके खिलाफ 419-20 धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। जो अभी भी सीजीएम कोर्ट में विचाराधीन है।
अकूत संपत्ति के मालिक हैं ये ‘यादव सिंह’
एक मामूली फॉर्माशिष्ठ होने के बावजूद इनके अशोक यादव अकूत संपत्ति के मालिक हैं। जानकारी के मुताबिक, इसका ठाट नेताओं जैसे है। बड़ा घर, बड़ी गाड़ी, करोड़ों की चल-अचल सम्पत्ती। बेटे-बेटी दोनों लखनऊ और नेपाल के जनकपुर के निजी संस्थान से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। ऑफिस का ठाट ऐसा जैसे सीएमओ यही हो। जनाब जिस लग्जरी कार से चलते उस पर भी उत्तर प्रदेश सरकार का लोगो चमकता हुआ दिखता है। जनाब ने इतनी धन उगाही की है जिससे की इन्होंने अपने बेटे के नाम से 68 लाख की जमीन खरीद रखी है।
रामअवध के करीब है यह ‘यादव सिंह’
अशोक यादव सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष और एमएलसी राम अवध यादव के सगे रिश्तेदार है। बताया जाता है कि राम अवध यादव पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी है। जिसके चलते अखिलेश यादव ने उन्हें एमएलसी बना दिया। जिसके डर से कोई भी अधिकारी अशोक यादव के खिलाफ कार्रवाई करने से पहेल एक-दो बार नहीं बल्कि कार्रवाई ही नहीं करता।
NRHM घोटाले के मुख्य आरोपी है ‘यादव सिंह’
उत्तर प्रदेश के मशहूर NRHM घोटाले से भी अशोक यादव अछूते नहीं रहे। इस मामले में भी अशोक यादव को CBI ने कुशीनगर जनपद का मुख्य आरोपी बनाया है। अशोक यादव इस मामले में दो बार जेल भी जा चुका है।
क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
ताज्जुब की बात ये है कि जेल में निरुद्ध होने के बाद भी फार्माशिष्ट अशोक यादव पर इस मामलों में कोई कार्रवाई नही हुई। अशोक यादव सत्तारूढ़ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के एमएलसी राम अवध के सगे रिश्तेदार है। आरोप ये भी है कि जब 12 जुलाई 2013 से 26 सितम्बर 2013 और 06 सितम्बर 2016 से 17 सितम्बर 2016 तक गाज़ियाबाद के डासना जेल में निरुद्ध रहने के बाद भी इनका वेतन नहीं रोका गया और सामान्य अवकाश और मेडिकल पर होना दिखाया गया है।
मनमाने तरीके से की नियुक्ति
एक और सामाजिक कार्यकर्ता ने ये आरोप लगाया है कि एनआरएचएम में भर्ती के दौरान अशोक यादव व डॉ. ताहिर अली ने खूब घपले किए। आरोप है कि डॉ. ताहिर अली ने तो अपने भाई शाहिद अली की ही नियुक्ति कर दी, जब कि वो नियुक्ति कमेटी के सदस्य भी थे। उस कमेटी में चीफ फॉर्मासिस्ट होने के वजह से अशोक यादव भी शामिल था।
जेल जाएगा ये यादव सिंह: भाजपा जिलाध्यक्ष
भाजपा जिलाध्यक्ष जेपी शाही ने इस मामले की पूरी जानकारी होने की बात कही। उन्होंने कहा कि अशोक यादव पडरौना जिले का यादव सिंह है और पैसे के बल और अपनी ऊंची पहुंच के चलते आज तक की सरकारों में इस जिले में अंगद के पावं की तरह जमा रहा। वर्तमान की योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देने के लिए प्रतिबद्ध है और मुख्यमंत्री के संज्ञान में बात को मैं खुद ही ले जाऊंगा और मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की उनके संज्ञान तक बात आते ही अशोक यादव की जगह ऑफिस नहीं बल्कि जेल होगा।
बहरहाल, अब ये देखने वाली बात होगी कि जनता के पैसों को डकार कर मौज करने वाले इस यादव सिंह पर वर्तनाम योगी सरकार कार्रवाई कब करेंगी।