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चुनाव के पहले मुलायम-अखिलेश को लेकर ज्योतिषाचार्य ने की बड़ी भविष्यवाणी

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया मुलायम सिंह यादव को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुकी हैं। दोनों ही पार्टियां दावा कर रही हैं कि मुलायम सिंह यादव अर्थात नेताजी का समर्थन सिर्फ उनके साथ हैं लेकिन इस मामले में अब तक मुलायम ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं और वे दोनों के साथ ही सार्वजानिक मंच पर दिखाई दे रहे हैं। इसी क्रम में अब मुलायम और अखिलेश को लेकर वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने बड़ी भविष्यवाणी कर दी है।

अक्टूबर से शुरू हो चुका है योग :

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की जन्मकुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण करते हुए कहा कि उनकी चन्द्र लग्न की राशि मीन पर देवगुरु बृहस्पति ग्रह का सकारात्मक प्रभाव गोचरीय ग्रह चाल में 11 अक्टूबर 2018 से आरम्भ हो गया है। एक वर्ष तक ये शक्तिशाली स्थिति में रहेगा। मुलायम सिंह यादव की जन्मकुंडली में गजकेसरी नामक महाराजयोग विद्यमान है।

इसके साथ ही उनकी जन्मकुंडली शनि ग्रह नीच का होकर जन्म के समय वक्री अवस्था था जो कि विपरीत राजयोग की श्रेणी में आता है। यही कारण है कि मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी को काफी ऊंचे मुकाम पर पहुंचाया। प्रदान की। पार्टी के अध्यक्ष पद रहते हुए वे 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय रक्षा मंत्री पद पर रहे थे।

खत्म नहीं हुई अखिलेश की मुश्किलें :

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वर्तमान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सही जन्मतिथि की जन्मकुंडली के अनुसार उनकी जन्मकुंडली में देवगुरु बृहस्पति ग्रह अपनी स्वराशि धनु में राहु के साथ स्थित हैं। यही कारण है कि 2012 में जब देवगुरु बृहस्पति ग्रह की महादशा आरम्भ हुई तब अखिलेश को उनकी जन्मकुंडली में स्वराशिस्थ धनु में देवगुरु बृहस्पति के कारण अपने पिता मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद फलस्वरूप उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद प्राप्त हुआ।

लेकिन उनकी जन्मकुंडली में देवगुरु बृहस्पति ग्रह चाण्डाल छाया ग्रह राहु के साथ एक साथ युति बनाकर स्थित हैं। यही कारण रहा कि अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही 2017 के विधानसभा चुनावों में सपा को हार मिली। यही कारण है कि मुलायम सिंह यादव के सपा अध्यक्ष रहते हुए पार्टी के अंदर किसी भी प्रकार की विरोधाभास की स्थिति नहीं रही।

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