जिस तरह से अंग्रेजों के शासनकाल में लाठीचार्ज के दौरान लाला लाजपत राय की मौत हो गई थी उस समय अंग्रेजों का शासनकाल था। इस घटना के बाद महान पुरुषों अंग्रेजों का बंटाधार कर सत्ता छीनकर उन्हें देश से बाहर का रास्ता दिखाकर भारत को आजाद किया था। ठीक उसी तर्ज पर बुधवार को राजधानी लखनऊ में यूपी पुलिस की बर्वरता का शिकार होकर कुशीनगर के शिक्षक डॉ. राम आशीष की मौत हो गई। अब देखना यह होगा कि इस घटना के बाद यूपी की सत्ता पर किसका कब्जा होगा? यह आने वाला वक्त बताएगा। एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी सिविल अस्पताल में पहुंची तो शिक्षक दोषियों को सस्पेंड कर एक करोड़ रुपये मुआवजे की की मांग कर रहे थे। पूरा सिविल अस्पताल छावनी में तब्दील रहा।
देखिये एक्सक्लूसिव तस्वीरें:
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एसएसपी को लाठी चलाने की भी नहीं तमीज
- पुरानी पेंशन बहाली को लेकर ‘ऑल टीचर इम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन’ (अटेवा) के तत्वावधान में प्रदेश भर से आये हजारों की संख्या में कार्यकर्ता पर पुलिस ने बम्पर लाठीचार्ज कर दिया।
- भगदड़ में घायल कुशीनगर के रहने वाले डॉ. राम आशीष सिंह की मौत हो गई।
- जबकि काशगंज के नीरज प्रकाश, बिजनौर निवासी प्रदीप कुमार, मैनपुरी निवासी ओंकार सिंह सहित दर्जनों कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गए।
- सभी का सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है। वहीं गुस्साए कार्यकर्ताओं ने कई गाड़ियों की लाल और नीली बत्ती भी तोड़ दी।
- कार्यकर्ताओं ने एएसपी पूर्वी शिवराम यादव और सीओ हजरतगंज अशोक कुमार वर्मा एवं लाठी चलाने में माहिर थाना प्रभारी हजरतगंज राजकुमार सिंह पर लाठी चलवाने का आरोप लगाया है।
- कार्यकर्ताओं का कहना है कि सभी शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन सीओ ने लाठीचार्ज करवा कर स्थिति खराब कर दी।
- पुलिसकर्मियों ने महिलाओं से भी अभद्रता की इस दौरान महिला पुलिस मौजूद नहीं थी।
- इस बवाल के दौरान एएसपी पूर्वी का क्रूर चेहरा सामने आया वह कार्यकर्ताओं के सीधे सिर पर लाठियां मार रहे थे जो नियम के विरुद्ध है।
- नियम के अनुसार लाठीचार्ज के दौरान कमर के नीचे लाठी मरना चाहिए।