पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में रूचि रखने वाले ‘अतीक अहमद’ नाम से परिचित ना हों ऐसा संभव नहीं है। 25 जनवरी 2005 वो तारीख़ है जो इस नाम से आपका परिचय कराती है, बसपा विधायक राजूपाल की हत्या कुछ यूँ की गयी थी मानों कोई फिल्म का सीन हो। शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल जब अपने काफिले संग घर लौट रहे थे तब सुलेमसराय जीटी रोड पर अचानक ऐसी फायरिंग शुरू हो गयी कि शहर थर्रा उठा था। गोलियों से छलनी राजूपाल को उस वक़्त ऑटो से जीवन ज्योति हॉस्पिटल ले जाया गया था जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।

शिवपाल ने टिकट बंटवारे से रामगोपाल और अखिलेश को रखा दूर!

राजू पाल की हत्या के बाद ही शुरू हुआ था अतीक का डाऊनफॉल

  • राजूपाल की पत्नी पूजा पाल ने बसपा के टिकट पर इलाहाबाद पश्चिमी सीट से दी थी अतीक को पटखनी
  • अकेली महिला से हारने के बाद टूटा था अतीक और अशरफ का तिलिस्म
  • बसपा सरकार बनते ही बहन जी ने अतीक की गुंडागर्दी को ‘इतिहास’ बना दिया था

12 विधानसभा सीट वाले शहर में हुए एक सीट को मोहताज 

  • अतीक अहमद के गढ़ में उनके लिए एक सीट सुरक्षित नहीं रह गयी है
  • अफ़रातफ़री में कानपुर बुलाकर मुस्लिम बाहुल्य सीट का दिया गया टिकट
  • कानपुर की छावनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे अतीक

राजनीति वो खेल है जहाँ अर्श से फर्श पर आने में समय नहीं लगता, जहाँ खेल के 99 फीसदी हिस्से में तो नेतागण हावी होते हैं पर 1 फ़ीसदी खेल खेलने वाली जनता ही इस पर राज़ करती है। 90 के दशक और आज के दशक में जमीन-आसमान का फर्क है, अब जनता ‘गुंडों’ का राजनीति में आना पसंद नहीं करती, अब जनता अपने वोट के कीमत को समझती है और यह बात आने वाले विधानसभा चुनावों में साफ़ हो जाएगी।

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें