राजधानी लखनऊ के इटौंजा थाना क्षेत्र में पौधरोपण की तैयारियों को लेकर गांव पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों पर प्रापर्टी डीलरों के कहने पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि 200 से ज्यादा गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग के एक दर्जन कर्मचारियों और स्टाफ को लाठी-डंडों बल्लम और कट्टे से पीटा। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों को करीब 3 किलोमीटर तक खेतों में दौड़ाया। घटना में करीब 10 के सर फूटे होने और हाथ व टांग टूटी होने की खबर है।
बताया जा रहा है कि बचाव में लोगो ने गोलियाँ भी चलाई। हमले में घायल सभी लोगों को निकट के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हमला करवाने का आरोप एक ग्राम प्रधान और प्रापर्टी डीलर पर लग रहा है। वन विभाग के कर्मचारियों का आरोप है कि पुलिस मामले को दबाने के प्रयास में जुटी हुई है। इस संबंध में थाना प्रभारी इटौंजा शिवशंकर सिंह ने घटना से इंकार करते हुए बताया कि ये फर्जी सूचना है। थाने के दरोगा इलाके में घंटो घटना के बारे में पूछते रहे लेकिन कुछ नहीं मिला।
बच्चों को आगे करके मौके पर हथियारों से लैस पहुंचे ग्रामीण
जानकारी के मुताबिक, मामला इटौंजा थाना क्षेत्र के उमरिया गाँव का है। यहां वन विभाग की सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन पर ग्रामीणों का कब्ज़ा है। शुक्रवार को वन विभाग में बतौर माली के पद पर तैनात कन्हाई, देशराज, रामकुमार और जमालुद्दीन पौधा लगाने के लिए सरकारी जमीन पर गड्ढे खोद रहे थे। रामकुमार ने बताया कि सुबह करीब 11:00 बजे उनके पीछे से करीब 25-30 बच्चों का झुंड आते हुए दिखाई दिया। रामकुमार के मुताबिक, उन्होंने समझा की बच्चे खेलने के लिए आ रहे होंगे। लेकिन बच्चों के पीछे करीब 70-80 ग्रामीणों का झुंड आ रहा था। जिनके हाथों में असलहे और डंडे थे। रामकुमार ने बताया कि इस झुंड के पीछे करीब 200-300 लोग दौड़ते हुए आ थे। ये देख मालियों को अनहोनी की आशंका लगी। उन्होंने इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी। सूचना मिलते ही वन रेंजर मनोज सहित करीब 30 वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सुरक्षाकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे।
ग्रामीणों ने वनकर्मियों को घेरकर मारा
रामकुमार ने बताया कि ग्रामीणों ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को घेर लिया और बेरहमी से असलहों की बट और लाठी डंडो से पीटने लगे। इस दौरान वनकर्मी जान बचाकर भागे तो ग्रामीणों ने उन्हें दौड़ा लिया। मौके पर मौजूद वनकर्मियों ने अपने बचाव में ग्रामीणों पर ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया फिर भी दबंग पीछे नहीं हटे। वनकर्मियों ने बताया कि बचाव में और ग्रामीणों के भीतर दहशत पैदा करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने हवा में फायरिंग की, तब ग्रामीण भाग गए। रामकुमार ने बताया कि इस हमले में कुल 29 अधिकारी और कर्मचारी घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एक घंटे देर से पहुंची पुलिस छिपाती रही घटना
लखनऊ पुलिस के कारनामों से तो जग जाहिर है। कभी कुत्ते की खाल को टाइगर की खाल और काले पानी को कोबरा का जहर तो कभी खिलौना वाली बंदूकों को विदेशी असलहे और फर्जी मुठभेड़ों के साथ अपराध छिपाने में माहिर पुलिस इस घटना को भी दबाती रही। वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि घटना की सूचना 100 नंबर डॉयल करके पुलिस को दी गई, लेकिन पुलिस एक घंटे लेट मौके पर पहुंची। इतना ही नहीं थाना प्रभारी इटौंजा ने झूठ बोलकर घटना से ही इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि सूचना फर्जी है और घटना हुई ही नहीं। अब आप खुद समझ सकते हैं कि लखनऊ पुलिस सीएम और डीजीपी के निर्देशों का कितना पालन करती है।
ग्राम प्रधान पर प्रापर्टी डीलर पर हमला करवाने का आरोप
वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि गांव के दबंग ग्राम प्रधान ने प्रॉपर्टी डीलरों की मदद से सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर रखा है। यहां वन विभाग की 27 एकड़ पक्की (करीब 150 बीघा) भूमि है। बताया जा रहा है कि उमरिया गांव की प्रधान आकांक्षा अवस्थी हैं। इनके पति अमित अवस्थी प्रापर्टी डीलिंग का भी काम करते हैं। पीड़ितों ने बताया कि दबंग ग्राम प्रधान ने प्रापर्टी डीलर जलालू की मदद से ग्रामीणों को मोहरा बनाकर वन विभाग की टीम पर हमला कर दिया। हमले के दौरान सभी हमलावर असलहा, लाठीडंडो से लैस थे।
घटना का वीडियो-
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