अयोध्या और दक्षिण कोरिया के 2000 साल पुराने सांस्कृतिक रिश्तों की झलक इस बार रामनगरी में दीपोत्सव के दौरान दिखेगी। कोरियाई वास्तुकला के नमूने के तौर पर अयोध्या में विकसित की जा रही रानी हो की स्मृतिका के भव्य स्वरूप का छह नवंबर को उद्घाटन होगा। वहीं रानी हो के कोरिया आगमन की याद में दक्षिण कोरिया में हर साल मनाये जाने वाले किमहे फेस्टिवल को इस बार दीपोत्सव के दौरान अयोध्या में प्रस्तुत करने का इरादा है। सात नवंबर को दीपावली है, जबकि चार से छह नवंबर तक सरकार अयोध्या में दीपोत्सव मनाने की तैयारियों में जुटी है।
भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत शिन बोंगकिल ने यह जानकारी दी। दक्षिण कोरियाई दूतावास की ओर से सोमवार को राजधानी में आयोजित कोरिया कारवां ईवेंट के सिलसिले में लखनऊ आये शिन बोंगकिल ने बताया कि 48 ईसवी में अयोध्या की राजकुमारी सुवर्णरत्ना समुद्र के रास्ते कोरिया गईं और वहां के एक राजा से शादी कर ली। वहीं उनका नाम क्वीन ‘हो’ पड़ गया। उनके कोरिया आगमन की याद में दक्षिण कोरिया में हर साल किमहे फेस्टिवल आयोजित किया जाता है जिसमें शोभायात्र निकाली जाती है। उनके साथ मौजूद मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि उप्र और दक्षिण कोरिया के बीच सांस्कृतिक रिश्ते मजबूत करने के लिए इस बार अयोध्या में दीपोत्सव के दौरान कोरियाई कलाकारों द्वारा किमहे फेस्टिवल को प्रस्तुत किया जाएगा।
वहीं सरकार का यह भी प्रयास है कि दक्षिण कोरिया में होने वाले किमहे फेस्टिवल में प्रदेश के कलाकारों का दखल बढ़े। कोरिया कारवां ईवेंट के तहत शिन बोंगकिल के नेतृत्व में सैमसंग, एलजी, हुंडई, किया मोटर्स, पॉस्को समेत दक्षिण कोरिया की 30 कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को होटल हयात रीजेंसी में प्रदेश में निवेश की संभावनाएं तलाशीं। उप्र के साथ कारोबारी रिश्ते बढ़ाने के बारे में स्थानीय उद्यमियों और औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की। बोंगकिल ने बताया कि सैमसंग और एलजी ने उप्र में बड़ा निवेश तो किया ही है लेकिन योगी सरकार के सकारात्मक रवैये से उत्साहित अन्य कोरियाई कंपनियां भी यहां निवेश की इच्छुक हैं।
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