समाजवादी पार्टी को गोरखपुर और फूलपुर पर हुए उपचुनावों के लिए चिर प्रतिद्वंदी बसपा का समर्थन हासिल हुआ था। दोनों ही पार्टी के नेताओं का कहना है कि उपचुनावों में आये नतीजे ही 2019 में गठबंधन की रूपरेखा तय करेंगे। बसपा के सपा को समर्थन देने पर अब कई नेताओ की प्रतिक्रया आना शुरू हो गयी है। अभी तक बसपा और सपा के गठबंधन का कोई ऐलान भी नहीं हुआ है और सपा के कद्दावर नेता आजम खां के सुर बदल गये हैं और उन्होंने भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस की तारीफ में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए हैं। आजम खां के इस बयान के बाद नयी सियासी समीकरण बनते हुए दिख रहे हैं।
सपा को मिला बसपा का समर्थन :
गोरखपुर और फूलपुर सीट पर होने वाले उपचुनावों में पहली बार ऐसा हुआ है कि बसपा ने अपने कट्टर विरोधी सपा को समर्थन दिया है। बसपा के अलावा चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने भी अपना समर्थन समाजवादी पार्टी को दे दिया है। इसके अलावा कई अन्य छोटे दलों ने भी सपा को अपना समर्थन दिया है। सपा को इतने सारे दलों का समर्थन मिलने से भाजपा की मुश्किलें जरूर थोड़ी बढ़ गयी हैं। मगर कांग्रेस ने इन दोनों ही सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं और जमकर प्रचार कर रहे हैं। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया मार्क्सिस्ट ने भी सपा को अपना खुला समर्थन दे दिया है। साथ ही कई अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी सपा को समर्थन दिया है।
आजम ने दिया बयान :
त्रिपुरा में मूर्ति तोड़ने की घटना पर आजम खां ने कहा कि पीएम मोदी वही कह रहे जो आरएसएस उनसे कहलवा रहा है, वे भाजपा की भाषा नहीं बोल रहे हैं। आजम खां ने कहा कि हम तो मूर्ति पूजक नहीं है मगर प्रतिमाओं को तोड़ने का जो तरीका अपनाया गया, वो सही नहीं है। भाजपा का जो वैचारिक मतभेद है, हम उससे पूरा इत्तेफाक रखते हैं। मोदी जी ने कहा था कि 100 दिन में 20 लाख रुपया सबके खाते में आयेगा मगर नहीं आया। आरएसएस जो कहती है , वो सब जरूर करती है।