साल 2015 में हुई राज्यस्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड की काउंसलिंग में शामिल 7,563 कैंडिडेट्स के 3.78 करोड़ रुपये लखनऊ यूनिवर्सिटी ने दबा लिए। ये सभी कैंडिडेट्स ऐसे हैं, जिन्हें कॉलेज का आवंटन नहीं हुआ है या इन्होंने चॉइस लॉकिंग की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया था। नियमानुसार इनसे कॉलेज फीस के रूप में एडवांस में लिए गए पांच हजार रुपये वापस किए जाने थे, लेकिन एलयू प्रशासन ने यह रकम नहीं लौटाई। स्थानीय निधि लेखा संपरीक्षा विभाग की ओर से करवाई गई जांच में यह मामला पकड़ा गया। इसके बाद एलयू के वित्त अधिकारी को बीते सप्ताह नोटिस जारी कर सात मई तब जवाब मांगा गया है।
शासन ने 2015 की संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड का जिम्मा लखनऊ यूनिवर्सिटी को दिया था। यूनिवर्सिटी ने परीक्षा करवाए जाने के बाद 5 जून से 25 जून 2015 तक काउंसलिंग करवाई थी। काउंसलिंग में कुल 71,622 कैंडिडेट शामिल हुए थे। प्रदेश के विभिन्न केंद्रों पर करवाई गई काउंसलिंग के समय यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से काउंसलिंग फीस के रूप में कैंडिडेट्स से 500 रुपये का डीडी जमा करवाया गया था। इसके साथ ही कॉलेज फीस के लिए एडवांस में 5,000 रुपये का डिमांड ड्रॉफ्ट भी लिया गया था। ये 5 हजार रुपये रिफंडेबल थे। 4,857 कैंडिडेट्स को काउंसलिंग के बाद कॉलेज अलॉट नहीं हुआ था। इन सभी के 5 हजार रुपये यूनिवर्सिटी सालभर से दबाए बैठी है। सूत्रों के मुताबिक इस रकम से यूनिवर्सिटी ने 20 लाख रुपये से ब्याज से कमाए हैं।