बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई के स्पेशल जज एस.के. यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेज जवाब मांगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने जस्टिस एस.के. यादव से पूछा कि आप किस तरीके से ट्रायल को तय वक्त में पूरा करेंगे?
CBI जज से पूछा- तय वक्त में कैसे पूरा करेंगे ट्रायल?
फैजाबाद स्थित बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज एस के यादव की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा की वह सीलबंद रिपोर्ट फ़ाइल करके बताए कि उनके द्वारा 2 वर्ष में मामला निपटाने के आदेश को एक साल बीत चुके हैं. अब सिर्फ एक साल ही बचे है, आप यह मामला एक साल में कैसे खत्म करेंगे.
जज ने प्रमोशन पर रोक पर दायर की याचिका:
दरअसल मामले की सुनवाई कर रहे CBI जज एस के यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
याचिका में हाई कोर्ट में उनके प्रमोशन पर रोक का मामला उठाया गया है।
जस्टिस यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि SC ने अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी होने तक उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दी है.
इस आदेश की वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी है.
लिहाजा उन्हें ट्रांसफर के साथ या ट्रांसफर के बिना पदोन्नति दी जाए.
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=”” font_weight=”bold”]बता दें कि लखनऊ की सीबीआई अदालत में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 आरोपियों पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चल रहा है। [/penci_blockquote]
भाजपा के बड़े नेताओं पर चल रहा है साजिश का केस:
अयोध्या में बाबरी गिराए जाने के मामले में दरअसल बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत अन्य बीजेपी नेताओं के खिलाफ साजिश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल चलाने को कहा था।
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”left” author=””]19 अप्रैल 2017 को कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ बाबरी गिराए जाने की साजिश मामले में ट्रायल चलाने का निर्देश दिया था.[/penci_blockquote]
सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने अर्जी दाखिल की थी कि इन नेताओं के खिलाफ ड्राप किए गए साजिश के चार्ज को बहाल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी को स्वीकार कर लिया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मामलों यानी बीजेपी नेताओं और कार सेवकों के खिलाफ पेंडिंग केसों को एक साथ चलाने का आदेश दिया था।
आडवाणी व अन्य नेताओं के खिलाफ रायबरेली में केस पेंडिंग था,जबकि कार सेवकों के खिलाफ लखनऊ में केस चल रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों केसों की सुनवाई लखनऊ में हो और प्रति दिन सुनवाई की जाए। साथ ही ये भी कहा था कि ट्रायल पूरा होने तक जज का तबादला न हो।
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