उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में लगभग 26 साल पहले आज के दिन ही कारसेवकों ने राम मंदिर बनाने के लिए 17 से 18 मिनट के अंदर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। बाबरी मस्जिद के 26 साल बाद भी उस जमीन पर आज तक मंदिर निर्माण नहीं हो सका है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही एक बार फिर से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को जोरों से उठाया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी समेत देश की कई राजनीतिक पार्टियां अयोध्या राम मंदिर के निर्माण के लिए हुंकार भर रही हैं। आज हम आपको विस्तार से बतायेंगे कि वास्तव में उस दिन क्या हुआ था ?
आडवाणी ने की थी आंदोलन की शुरुआत :
बाबरी मस्जिद के विध्वंस से पहले 30 नवंबर 1992 को लालकृष्ण आडवाणी ने मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या जाने का एलान किया था। इसके बाद बाबरी मस्जिद विध्यवंस रूपरेखा तैयार होना शुरू हो गई थी। उनके दौरे के पहले 5 दिसंबर को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शंकर राव चौहान ने कहा था कि अयोध्या में कुछ नहीं होगा। कहा जाता है कि गृह मंत्री को अपनी खुफिया एजेंसियों की तुलना में यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर ज्यादा भरोसा था। पीएम पीवी नरसिम्हा राव को यूपी के सीएम कल्याण सिंह के उस बयान पर ज्यादा भरोसा था जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद की सुरक्षा की बात कही थी। तमाम चेतावनियों के बाद भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किये गए और बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया गया। इसके कुछ घंटे बाद यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।
फिर सुर्ख़ियों में है राम मंदिर निर्माण मुद्दा :
भाजपा ने फिर से मांग उठाना शुरू कर दिया है कि अयोध्या में विवादित जमीन पर बगैर किसी देरी भगवान राम का मंदिर बनना चाहिए। राम मंदिर निर्माण पर बीजेपी के सांसद भी बगैर हिचकिचाए बयान दे रहे हैं। भाजपा सांसद साध्वी प्राची ने अगले महीने की छह तारीख को ही राम मंदिर का शिलांयास करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि रामलला भी शायद यही चाहते हैं कि जिस दिन बाबरी मस्जिद ढहा गई, उसी दिन से मंदिर का निर्माण शुरू हो। 6 दिसंबर 1992 का दिन भारत के इतिहास में बाबरी मंदिर विध्वंस के रूप में जाना जाता है. आइये जानते हैं कि इस दिन आखिर हुआ क्या था उस दिन।