उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे चल रहीं हैं। यहां के अस्पतालों के हालत ये हैं कि दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली जीवन रक्षक दवाएं अस्पतालों से गायब हैं। आरोप है कि अस्पतालों में कमीशन के चक्कर में दवाएं नहीं दी जा रही हैं और बाहर ही ब्लैक में बेच दी जा रही हैं। आरोप ये भी है कि इसकी कई बार शिकायत सीएमओ से की है लेकिन वह इस ओर ध्यान नहीं देते। बताया ये भी जा रहा है कि सीएमओ का एक निजी अस्पताल है वह अधिकतर यहीं व्यस्त रहते हैं। फिलहाल असल मामला क्या है ये जांच का विषय है। इस संबंध में जब बहराइच के सीएमओ डॉ. अरुण कुमार पांडेय से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी इसके चलते उनसे बात नहीं हो सकी।
जानकारी के मुताबिक, बहराइच जिले के दर्जनों अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाएं नहीं हैं। जरवल के अस्पताल में ऑक्सैटोसिन इंजेक्शन नहीं है। बताया जा रहा है कि ये इंजेक्शन पिछले 6 महीने से उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। यहां पेरासिटामोल की गोलियां भी नहीं है। अस्पताल प्रशासन जब इस बारे में शिकायत करता है तो 1000 बोलियां ही दी जाती हैं। जबकि सर्दी के मौसम में इस समय डिमांड ज्यादा है।
बताया जा रहा है कि एंटीबायोटिक सेप्टरेन टैबलेट पिछले 6 महीनों से अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। मरीजों को बाहर से दवाई खरीदने के लिए कहा जा रहा है। आरोप है कि कमीशन के चक्कर में सीएमओ के यहां से दवाई उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। जब डॉक्टर दवाएं देने के लिए कहते हैं तो उनसे कहा जाता है कि दवाई मिलने में करीब 40 दिन का वक़्त लगेगा।
सूत्रों के मुताबिक, बहराइच जिले के स्वास्थ्य विभाग के ग्रुप पर एक डॉक्टर ने अपनी पीड़ा का भी जिक्र किया है। लेकिन यह चैटिंग सार्वजनिक नहीं की जा सकती। आरोप ये भी हैं कि बहराइच के सीएमओ डॉ. अरुण कुमार पांडे एक सर्जन हैं और उनका एक प्राइवेट हॉस्पिटल है। डॉक्टर साहब ज्यादातर समय अस्पताल में बिताते हैं और प्राइवेट मरीजों को देखकर मोटी रकम कमा रहे हैं। आरोपी ये भी है कि सीएमओ डॉक्टरों की पोस्टिंग के लिए भी लाखों रुपए ले रहे हैं। हलाकि इस मामले में सच्चाई कितनी है यह जांच का विषय है।
प्रसव पीड़ा के दौरान दिया जाता है ऑक्सैटोसिन इंजेक्शन
चिकित्सकों के मुताबिक, Oxytocin Injection (ऑक्सैटोसिन इंजेक्शन) स्तनों का दूध के साथ परिपूर्ण होना, प्रसव पीड़ा की शुरुआत, प्रसव के दौरान गर्भाशय के संकुचन की अनुपस्थिति, शल्यजनन, प्रसव के बाद रक्त की हानि, सीज़ेरियन सेक्शन और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए निर्देशित किया जाता है।
इन मामलों में दी जाती है पेरासिटामोल
डाक्टरों के मुताबिक, पेरासिटामोल बुखार, सिरदर्द, मासिक धर्म के दर्द, अर्थ्रेल्जिया (जोड़ों का दर्द, Arthralgia), माएल्जिया (Myalgia, मांसपेशियों में दर्द) दांत में दर्द, ऑपरेशन के बाद होने वाला दर्द में दिया जाता है।
मलेरिया में दी जाती है सेप्ट्रान टैबलेट
डाक्टरों ने बताया कि Septran Tablet (सेप्टरेन टैबलेट) जीवाणु संक्रमण, मलेरिया, श्वसन पथ जीवाणु संक्रमण, आंख को ढकने वाली झिल्ली में जलन और लालिमा, मूत्र पथ के जीवाणु संक्रमण, मूत्र मार्ग में संक्रमण और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए निर्देशित किया जाता है। Septran Tablet (सेप्टरेन टैबलेट) के प्रयोगों, संयोजन, खुराक, दुष्प्रभावों को रोकने का काम करती है।
septran tablet is not for malaria