समाजवादी पार्टी से अलग होकर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा गठित करने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव की पार्टी का चुनाव आयोग में पंजीयन हो गया है। उसे ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया’ नाम मिला है। जसवंतनगर सीट से सपा विधायक शिवपाल यादव के अलग पार्टी बनाने के बाद से अब तक कई नेता और कार्यकर्ता सपा से इस्तीफ़ा दे चुके हैं। हालाँकि शिवपाल यादव के नयी पार्टी बनाने से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक बड़ा फायदा भी हुआ है।

शिवपाल ने खोला बाहुबलियों के लिए दरवाजा :

समाजवादी पार्टी में कोई बड़ा पद न मिलने के कारण शिवपाल सिंह यादव ने सेक्युलर मोर्चे का गठन कर लिया। शिवपाल यादव ने अपनी नयी पार्टी में यूपी के कई बाहुबलियों के लिए नया रास्ता खोल दिया है। सपा और बीजेपी जिन बाहुबलियों को टिकट देने से कतरा रहे थे, वे शिवपाल यादव के साथ आ रहे हैं। इन्हीं में से कानपुर नगर के पूर्व सपा अध्यक्ष रहे महताब आलम हैं जिन्हें शिवपाल ने अपनी पार्टी के कानपुर की जिम्मेदारी दी है। महताब पर कई मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा 11 मजदूरों की हत्या का मुकदमा भी इनके ऊपर दर्ज है और कोर्ट से स्टे के जरिए अभी जेल से बाहर हैं।

अखिलेश यादव रही है साफ़ छवि :.

यूपी के कई बड़े सपा नेता लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। सपा से टिकट नहीं मिलने की स्थिति में वे शिवपाल यादव के साथ जा सकते हैं। इस पर सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का कहना है कि शिवपाल के सपा से जाने के बाद पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अखिलेश यादव ने बतौर सीएम पांच साल का बेदाग कार्यकाल रहा। उन पर एक भी मुकदमा नहीं दर्ज और वो चाहते हैं कि हम मुलायम सिंह यादव की पार्टी को क्लीन रखें। यही कारण है कि दबंग नेता की छवि वाले नेता सपा छोड़कर कर शिवपाल के साथ जा रहे हैं।

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