प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य महकमे में सुधार कें लिए आये दिन चेतावनी दी जाती हैं कि सुधर जाओ नहीं तो कठोर-दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी और सरकार द्वारा नि:शुल्क इलाज हेतु करोडो रुपये हर वर्ष खर्च किया जाता है। दूसरी तरफ जिले में एक ऐसा उप स्वास्थ्य केंद्र है जहाँ पर इलाज की जगह बेकरी का कारोबार चलता हैं। जिसे आप देख कर आश्चर्य में जरुर पड़ जायेगे और स्वास्थ्य महकमे की भारी लापरवाही का अंदाजा आप इसे देखकर स्वतः लगा सकते हैं। यही नहीं इस अस्पताल में बेकरी का कारोबार पिछले कई वर्षों चला आ रहा हैं।
देखरेख के अभाव में यह अस्पताल दयनीय स्थिति में पहुंच गया है। जिम्मेदार स्वास्थ्य महकमें की लापरवाही का नतीजा है यह अस्पताल अवैध आक्रमण कारियों के कब्जे में पूरी तरह से है। सरकार की मंशा थी कि अस्पताल गांव में होने से मरीजों को बाहर नहीं आना पड़ेगा। गांव में ही उचित इलाज हो सकेगा। लेकिन स्वास्थ्य महकमा की कार्यप्रणाली व लापरवाही सीधा इसके उल्टा है। लाखों की लागत से बना उप स्वास्थ्य केंद्र अपनी दुर्दशा पर स्वयं आंसू बहा रहा है जिसे विभाग देखने की जहमत तक नहीं उठा पा रहा है।
सिद्धौर विकास क्षेत्र का है पूरा मामला
यह मामला विकास क्षेत्र सिद्धौर के मंशारा गांव का है। यहां लाखों की लागत सें लगभग सात वर्ष पूर्व बनवाया गया उप स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर खूद आंसू बहा रहा है। जिसे देखने की विभाग जहमत तक नहीं उठा पा रहा है। जिसका नतीजा है अवैध आक्रमणकारियों की चपेट में पूरा उपस्वास्थ्य केंद्र है। यहां पर डाक्टर कभी दिखाई नहीं पढ़ते हैं। अस्पताल में बड़ी-बड़ी घास बड़े-बड़े कूड़े के ढेर अस्पताल की शोभा बढ़ा रहे हैं। अस्पताल की बाउंड्री भी टूट चुकी हैं। कमरों में भीषण गंदगी व्याप्त है। अस्पताल में देखरेख कें आभाव सें खिड़कियां व दरवाजे टूट चूकें हैं। अस्पताल कें अंदर शौचालय गंदगी सें पटा हुआ है।
इलाज की जगह चल रहा बेकरी का काम
अस्पताल में लगा सरकारी इंडिया मार्का नल भी खराब पड़ा है। अस्पताल कें अंदर व आस पास बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हैं और अस्पताल में आवारा पशुओं का भी आना जाना लगा रहता है। इस अस्पताल की दयनीय स्थिति का विभाग स्वयं जिम्मेदार है। जिसका नतीजा है कि अस्पताल में इलाज की जगह बेकरी का कारोबार चल रहा है। यह अस्पताल इलाज की जगह कारखाना बनकर रह गया है। अस्पताल कें भीतर भारी गंदगी फैली हुई है। अस्पताल की साफ सफाई ना होने से गंदगी का साम्राज्य कायम है। देख रेख के अभाव में अस्पताल जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। अब देखना क्या होगा जिम्मेदार अधिकारी इस अस्पताल को अतिक्रमण से मुक्त करा पाते हैं या नहीं और अस्पताल की दयनीय स्थिति पर ध्यान दिया जाता हैं या यह तो वक्त ही बताएगा?
बाराबंकी में सिसक रहा बचपन
घर से भागकर गलत हाथों में पड़ने वाले मासूमों को रेस्क्यू कर वापस उनके घर तक पहुंचाने या फिर उनको सही रास्ते पर लाने के लिए प्रदेश सरकार का अभियान आपेशन मुस्कान लखनऊ के पड़ोसी जिले बाराबंकी में ही औंधे मुंह गिर गया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब सिद्धौर के मंशारा गाँव में उपस्वास्थ्य केंद्र में चल रही बेकरी में मजदूरी कर रहे मासूम बाल मजदूर श्रम करते हुए कैमरे में कैद हो गए। जिसके देखने के बाद बाराबंकी में बाल मजदूरी का वो सच सामने आया जो शायद काफी लंबे वक्त से छुपा था। अंदर खाने की खबर है कि इस बेकरी में आज कई मजदूर बच्चों से बाल मजदूरी करायी जा रही है और जिम्मेदार महकमा मौन है।