बलिया के सांसद ने सिर्फ विकास के सपने दिखा कर किया छलने का काम
- बलिया: सांसद भरत सिंह ने आदर्श सांसद ग्राम योजना के अंतर्गत कवि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के गांव ओझवलिया को गोद लिया है।
- इससे गांव में जश्न का माहौल है।
- सांसद ने कहा कि अब गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य के अलावा सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
- बलिया के सांसद भरत सिंह ने आदर्श सांसद ग्राम के रूप में ओझवलिया को गोद लिया है।
- उन्होंने कहा कि गांव में सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
जो आजादी के बाद से पिछड़ा हुआ हो
- बता दें इससे पूर्व द्वाबा के अंतिम हिस्से में बसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव को गोद लेने की चर्चा थी।
- ध्यान रहे कि अमर उजाला ने बुधवार के अंक में ‘मोदी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे सांसद’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।
- करीब चार साल पहले दुल्लहपुर शंकर सिंह गांव को सांसद बनने के बाद दूरसंचार तथा रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने गोद लिया था।
- दुल्लहपुर शंकर सिंह गांव से भाजपा को 85 फीसदी मत मिले थे।
- तब यह जनपद का एकलौता ऐसा गांव था, जो सबसे अधिक भाजपा को वोट दिया था।
- इसे बड़े उत्साह के साथ सांसद ने गोद लिया।
यहां विकास की गंगा बहाने की लंबी-लंबी बातें की
- गांव के लोग अपने सांसद के चुनाव पर गर्व करने लगे, लेकिन लोगों से किए गए वादे आज तक पूरे नहीं हुए।
- विकास के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई। गाजीपुर-आजमगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ नाली नहीं बनाई गई है।
- इससे सटे गांव के किनारे से लेकर अंदर तक हमेशा पानी इकट्ठा रहता है, जिससे लोगों पर गंदे पानी के छींटें तक पड़ते रहते हैं।
- गांव में जगह-जगह नाली जाम है और गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है।
- गांव के बरनवाल गली में तीन जगह महीनों से नाली और बारिश का पानी इकट्ठा है।
- पानी की बदबू पूरे गांव में फैल रही है।
- पूरे गांव का कूड़ा-कचरा मदर टेरेसा स्कूल के पास की आबादी में फेंका जा रहा है,
- जिससे छात्रों और ग्रामीणों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है।
- इस गांव में दो पानी की टंकी का निर्माण आधा-अधूरा हुआ है।
आज भी लोग पेयजल के लिए हैंडपंपों के ही सहारे रहते हैं
- समुचित प्रकाश के लिए 72 सोलर लाइटें सांसद कोटे से लगी जरूर,
- जिसमें से आज 10 से भी ठीक से काम नहीं करती हैं।
- कुछ जर्जर हो गई हैं, तो कुछ को चोर उठा ले गए।
- शिक्षा के लिए यहां सिर्फ एक प्राथमिक पाठशाला है।
- 2005 में बना विद्यालय भवन भी जर्जर हो गया है तथा बरसात होने पर टपकता है।
- आलम यह है कि स्कूल में बच्चे और अध्यापक हमेशा डरे-सहमे रहते हैं।
- खास बात यह है कि शाम के समय में स्कूल भवन जुआरियों तथा शराबियों का अड्डा बन जाता है।
- स्कूल के मुख्य मार्ग पर हमेशा नाली का पानी जमा रहता है।
- प्रधानाध्यापक रामकुअर सिंह यादव ने बताया कि स्कूल की व्यवस्था के बारे में कई बार आला अधिकारियों से बात की गई, लेकिन इसे लेकर अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।
गांव में एक अस्पताल तक नहीं है
- मरीज जखनियां, गाजीपुर अथवा मऊ जाने को मजबूर हो जाते हैं।
- मरीजों की सेवा के लिए यहां एक एंबुलेंस भेजी गई थी, लेकिन वह ठीक से एक सप्ताह भी नहीं चली और फिर गायब हो गई। गांव में लाखों की लागत से आरओ प्लांट लगाया गया।
- कुछ दिनों तक वह ठीक चला, लेकिन रख-रखाव के अभाव में बंद हो गया और अब शो पीस बना हुआ है।
- विद्युत तार और पोल की कमी के चलते पूरे गांव में बिजली समुचित नहीं है।
- लोग इधर-उधर से तार फेंककर घर में उजाला करते हैं। अधिकांश घरों में आज भी शौचालय नदारद है।
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नारकीय हो गया ग्रामीणों का जीवन
- जलजमाव और कूड़े-कचरे के दुर्गंध से सांसद के गोद लिए गांव दुल्लहपुर शंकर सिंह के लोगों का जीवन नारकीय हो गया है।
- इससे निजात पाने के लिए एक बार ग्रामीणों ने कचरें में खड़ा होकर प्रदर्शन और नारेबाजी कर विरोध जताया था।
- कुछ लोगों ने समस्या की जानकारी रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को भी दी, लेकिन आज भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
- उस समय प्रदर्शन कर रहे शिव नारायन प्रजापति, पप्पू चौहान, रामदरश चौहान, पिंटू पटवा, रवि यादव, डॉ. अच्छे लाल चौहान, देवेंद्र यादव आदि ने बताया कि यह समस्या इतनी जटिल है कि कभी-कभी गांव छोड़कर जाने का मन करने लगता है।
गोद लेने के बाद दोबारा नहीं पहुंचे सांसद
- गोद लेने के समय गांव पर गर्व करने वाले लोग आज खुद को छला महसूस कर रहे हैं।
- आज तक मनोज सिन्हा कभी इस गांव में नहीं आए। सिर्फ विकास के सपने दिखा कर भोले-भाले ग्रामीणों को छलने का काम किया है।
- उधोग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजय साहू ने कहा कि बाजार की सबसे बड़ी समस्या जलजमाव है।
- बरसात का पानी न निकलने तथा नाली न बनने से जीना मुहाल हो गया है।
- शिव नरायन प्रजापति ने कहा कि आधे दर्जन सफाई कर्मी यहां के लिए नियुक्त है, लेकिन कभी भी सफाई ठीक से नहीं होती।
- सुरेश गुप्ता ने कहा कि आज भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
- बिजली ,पानी, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नदारद है।
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