केंद्र की सत्ता में काबिज मोदी सरकार के 4 साल पूरे हो गये हैं. विकास के मुद्दे पर जनता के दिल में जगह बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चार सालों में कितना सफल रहे इस बात का आंकलन करना हो तो उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी से शुरुआत करनी होगी. 

कभी अव्यवस्था और गंदगी थी बनारस की पहचान:

वाराणसी उत्तर प्रदेश का वह पवित्र जिला जहाँ साल भर पर्यटन और श्रद्धालुयों का हुजूम लगता हैं. संकरी गलियों वाला बनारस जहाँ कभी गंदगी और प्रदूषण का बोलबाला हुआ करता था.

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इतना ही नहीं खुद महात्मा गाँधी ने भी बनारस की गंदगी का जिक्र किया था. लेकिन पिछले चार सालों से बनारस शहर के लोगों में एक अलग ही उत्साह और जुनून है जो गांधी के उस कथन को भी झुठलाने का जज्बा और जुनून रखता हैं. सफाई बनारस में आज एक ऐसी लगन बन गई है कि कोई किसी गली के भी किसी भी कोने को गंदा नहीं छोडऩा चाहता।

नरेंद्र मोदी का बनारस उनके सांसद और देश का प्रधानमंत्री बनने से पहले तक कई अव्यवस्थाओं और कमियों से परिपूर्ण हुआ करता था. दूसरे शहरों की तरह यहां भी बदइंतजामी थी, ख़राब सड़कें, बिजली-पानी का संकट, कुंड-तालाब कब्जे में वगैरह-वगैरह।

बहरहाल बनारस बदला, आज देश का बेहतर नेतृत्व करने वाले मोदी ने बनारस का नेतृत्व किया और इसी का परिणाम हैं कि इतने कम समय में बनारस में इतना बड़ा बदलाव आ गया.

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बिजली व्यवस्था दुरुस्त:

पीएम मोदी ने बनारस को एक बेहतर शहर बनाने के लिए कई कारगर और जन हित सौगाते दी. इसमें आइपीडीएस भी हैं. जिससे शहर की कई कालोनियों और मुहल्लों में बिजली के तार भूमिगत हो गए, अब पूरे शहर में यह कवायद बढ़ चली है।

काशी की प्राचीनता से मेल खाते लैम्प पोस्टों (हेरिटेज पोल) से निकलती दूधिया रोशनी की चादर जहां जाइएगा, हमें पाइएगा के लहजे में आपका साथ ही नहीं छोड़ेगी।

बहरहाल केवल बिजली ही नहीं जिसे बनारस में परिवर्तन का सूचक मानेंगे. इसके अलावा कई ऐसी चीजों में परिवर्तन आया जिसने एक नये बनारस को जन्म दिया.

इसी बदलते हुए बनारस के दृश्य है जिनमे ना तो सड़कों पर अधेरा होता हैं और न हीं सड़क पर पान की पीक दिखती हैं. वो टूटे, बे-चमक, गंदे घाट अब जलवाफरोश होने लगे हैं। शायद यही कारण हैं कि बनारस में बीते चार सालों में करीब 20 फीसद सैलानी बढ़े हैं।
इस बदले हुए बनारस में 4 सालों में और भी काफी कुछ बदला.

बनारस को मिली सैकड़ों सौगातें:

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से बनारस में 279 केंद्रीय परियोजनाओं की सौगाते मिली. इस परियोंजनाओं में 15 हजार करोड़ से अधिक लगा.
केंद्र में सरकार बनने के बाद से अब तक बनारस के लिए तकरीबन 315 बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हुईं इनमें अब तक लगभग 279 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
इसके अलावा अभी भी कई परियोजनाएं पाइप लाइन में हैं जिनके जल्लद पूरा होने की उम्मीद है.

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ये योजनायें हुईं पूरी:

253 करोड़ : ट्रेड फेसिलिटेशन सेंटर बड़ा लालपुर

15 करोड़ : मालवीय एथीक्स सेंटर बीएचयू

13.60 करोड़ : 153 सामुदायिक शौचालयों की निर्माण।

4.09 करोड़ : 68 स्थलों का हेरिटेज विकास।

15.52 करोड़ : हृदय योजना से 29 हेरिटेज सड़कें बनाईं।

4.50 करोड़ : दुर्गाकुंड, लक्ष्मी कुंड समेत तीन तालाबों का जीर्णोद्धार।

131.16 करोड़ : जलापूर्ति योजना प्रथम फेज।

2 करोड़ : डी सेंट्रलाइज्ड वेस्ट टू इनर्जी पहडिय़ा प्लांट।

36821 एलईडी स्ट्रीट लाइट

3810 हेरिटेज पोल

इन परियोजनायें पर हो रहा काम:

– 4447 करोड़ : एनएचएआइ द्वारा एनएच 56, एनएच 233, एनएच 29 व रिंग रोड प्रथम फेज

– 812.36 करोड़ : सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बाबतपुर से वाराणसी तक फोर लेन निर्माण कार्य।

– 30 करोड़ : गेल द्वारा वाराणसी शहरी गैस वितरण योजना का काम अंतिम चरण में।

– 159.59 करोड़ : भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा आइडब्ल्यूटी मल्टी मॉडल टर्मिनल रामनगर।

– 4.35 करोड़ : भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड द्वारा पेरिशेबल कार्गो राजातालाब का निर्माण कार्य।

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