शिक्षित बेरोज़गार अपने पैरों पर खड़ा हो, इसके लिए सरकार और बैंक कई तरह की ऋण प्रोजेक्ट के जरिए बेरोजगारों को सहारा देने के लिए संकल्प बद्ध है. बावजूद इसके बैंक के कुछ भ्रष्ट अधिकारी ऋण देने के नाम पर कमीशन खोरी से बाज़ नहीं आ रहे हैं. ऋण उन्हीं बेरोजगारों को मिलता है जो बैंक मैनेजर की मुठ्ठी कमीशन देकर गर्म करता है. बिना कमीशन दिए एक भी ऋण पास कराना दिन में सपने देखने के बराबर है. बैंक द्वारा दिए जाने वाले कई तरह के उद्यम ऋणों पर भी खुलेआम कमीशन का खेल जारी है।
बेरोजगारी के दर्द में कमीशनखोरी की दोहरी मार:
अमेठी जिले थाना कमरौली क्षेत्र के ग्राम बरसंडा की एक महिला ने बैंक आॅफ बड़ोदा शाखा बरसंडा के शाखा प्रबंधक पर कमीशनखोरी का आरोप लगाया है.
पीड़िता का आरोप है कि शाखा प्रबंधक ने उसका ऋण स्वीकृत करने के लिए 10 फीसद हिस्सा मांगा. वहीं महिला के इंकार करने पर बैंक मैनेजर अब महिला का ऋण स्वीकृत नहीं कर रहे है।
गौ पालन और दुग्ध व्यवसाय के लिए बैंक से मदद मांगने गई सना:
थाना कमरौली क्षेत्र के ग्राम बरसंडा की निवासी सना अली पत्नी मुशर्रत अली का आरोप है कि उन्होंने गौपालन और दुग्ध डेयरी संचालन के लिए यूपी खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड से 10 लाख रुपये के ऋण के लिए पत्रावली बैंक आॅफ बड़ोदा शाखा बरसंडा भिजवाई थी ।
कमीशन सेट नहीं तो कमी बता कर वापस दी फाइल:
पीड़िता का आरोप है पहले तो बैंक मैनेजर ने कहा था कि आपको ऋण मिल जायेगा लेकिन पत्रावली की सभी औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद शाखा प्रबंधक अभिषेक ने 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की.
पीडि़ता का आरोप है कि 10 फीसदी कमीशन न दे पाने के कारण उसका ऋण स्वीकृत नही हो पा रहा है. पीड़िता ने वित्तमंत्री और मुख्यमंत्री से प्रार्थना पत्र भेज कर न्याय दिलाए जाने की मांग की है।
बैंक प्रबंधन ने आरोपों को सिरे से किया खारिज:
हालांकि बैंक प्रबंधन ने इस मामले में आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.
शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ़ बड़ोदा शाखा बरसंडा अभिषेक ने बताया कि बैंक द्वारा कराए गए फील्ड विजिट के दौरान कुछ कमियां पाई गई, जिसके चलते आवेदक को ऋण नहीं दिया गया ।
सबसे बड़ा सवाल:
प्रदेश की योगी सरकार जहाँ एक ओर पानी की तरह पैसा बहाकर प्रदेश के किसानों, पशु पालकों तथा दुग्ध व्यवसाईयों की आर्थिक समृद्धि सहित सूबे को दुग्ध एवं कृषि के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए पशुओ के पशु पालन और संरक्षण के लिए गंभीरता से कदम उठा रही है.
वहीं इसके उलट अति विशिष्ट जनपद अमेठी के कुछ भ्रष्ट बैंक अधिकारी बकायदा सुविधा शुल्क और कमीशन का चश्मा लगाकर मौज मारते हुए योगी सरकार की जंतु संरक्षण-प्रकृति संरक्षण वाली विचारधारा और पारदर्शिता को मटिया मेट करने में जी जान से जुटे हैं.
यहीं नहीं स्वरोजगार के लिए दिए जाने वाले ऋण में एक बार फिर बैंकों की साख दांव पर लगी है. कमीशन के खेल में कई बार दागदार हो चुका बैंकों का दामन और लोन के मामलों को लेकर अमूमन बैंक अपनी साख पर बट्टा लगवाती आ रही है ।