उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में रहने वाले एक युवक ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) और बाराबंकी के डाक्टरों पर किडनी गायब करने का आरोप लगाया है। इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन और बाराबंकी के डॉक्टरों के बीच हड़कंप मच गया है।
- पीड़ित के अनुसार वह ट्रैक्टर ड्राईवर है जो ट्रैक्टर पलटने से घायल हो गया था।
- उसे गंभीर हालत में बाराबंकी जिला अस्पताल से केजीएमयू यह कहकर रेफर किया गया कि आंत में गंभीर चोट है।
- ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कर युवक की जांच के बाद फटी आंत को रात में ही रिपेयर कर दिया गया, लेकिन हालत में पूरी तरह सुधार नहीं हुआ।
- पीड़ित के पेट में लगातार दर्द होता रहा करीब दो साल बाद भी हालत ना सुधरने पर उसकी हालत ज्यादा बिगड़ गई तो एक निजी चिकित्सक को दिखाया।
- डॉक्टर ने जब अल्ट्रासाउंड किया तो दायीं किडनी गायब थी।
- भरोसा पक्का करने के लिए दो जगह पुन: अल्ट्रासाउंड जांच कराई गई, लेकिन रिपोर्ट एक जैसी ही रही।
- जबकि केजीएमयू में ऑपरेशन से पहले अल्ट्रासाउंड में दोनों किडनी मौजूद थीं।
- अब मरीज के परिवारीजन किडनी चोरी का आरोप लगा रहे हैं।
- मामले की जांच के लिए बाराबंकी पुलिस और न्यायालय से गुहार लगाई गई है।
क्या है पूरा मामला
- बाराबंकी जिले के भवानी बक्स मजरा निवासी पृथ्वीराज (23) पुत्र राजाराम ट्रैक्टर चालक है।
- पीड़ित के अनुसार 19 फरवरी, 2015 को ट्रैक्टर के पलटने से वह घायल हो गया।
- इस हादसे में घायल पृथ्वीराज को लेकर परिजन बाराबंकी जिला अस्पताल गए।
- यहां एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर पर अल्ट्रासाउंड कराकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में दिखाया तो यहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने आंत फटी बताकर केजीएमयू रेफर कर दिया।
- आरोप है कि भाई विमलेश व मौसी रामदुलारा को बाराबंकी अस्पताल के चिकित्सक ने केजीएमयू में परिचित डॉक्टरों का हवाला देकर मदद का भी आश्वासन दिया।
- साथ ही एंबुलेंस से केजीएमयू भेजकर खुद रात में ऑपरेशन के वक्त मौजूद रहा।
- पृथ्वीराज 19 फरवरी, 2015 को दोपहर करीब ढाई बजे ट्रॉमा सेंटर पहुंचा।
- कैजुअल्टी में पहुंचते ही पृथ्वीराज का अल्ट्रासाउंड समेत रक्त संबंधी जांचें कराई गईं।
- इसमें दाहिनी व बायीं, दोनों किडनी मौजूद थीं। आंत का ऑपरेशन रात में ही करने का फैसला किया गया। डॉक्टरों ने ट्रॉमा सेंटर में रात 11:45 पर मरीज को ओटी में शिफ्ट कर ओपेन सर्जरी की।
- इसके बाद सुबह साढ़े छह बजे मरीज को बाहर निकाला गया।
- परिजनों का कहना है कि 19 फरवरी, 2015 से भर्ती पृथ्वीराज की हालत ऑपरेशन के बाद भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई।
- ऐसे में डॉक्टरों ने एक माह तक भर्ती रखा।
- 20 मार्च, 2015 को पृथ्वीराज को डिस्चार्ज कर दिया गया।
- इसके बाद मरीज कमजोरी, पेट में दर्द आदि की शिकायत होने पर केजीएमयू का चक्कर लगाता रहा।
- डॉक्टर उसे ऑपरेशन होने का हवाला देकर जल्द ठीक होने का आश्वासन देते रहे।
- ऑपरेशन के बाद पेट दर्द की समस्या बनी रहने और धीरे-धीरे कमजोरी का शिकार होने पर पृथ्वी राज ने एक स्थानीय डॉक्टर की सलाह पर 15 अप्रैल, 2017 को जब अल्ट्रासाउंड कराया तो पहली बार दायीं किडनी गायब होने का पता चला।
- विश्वास न होने पर उसने 17 अप्रैल को अल्ट्रा डायग्नोस्टिक सेंटर पर दोबारा जांच कराई।
- यहां भी जांच रिपोर्ट में दायीं किडनी नदारद बताई गई तो मालूम हुआ कि किडनी नहीं है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
- इस मामले में केजीएमयू के वीसी प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में आया है।
- उन्होंने बताया कि चूंकि ऑपरेशन 2015 में हुआ था। इसलिए इस पर अभी कुछ कह नहीं सकता हूं।
- मैंने प्रो. नरसिंह वर्मा को मरीज के इलाज की फाइल निकलवाकर जांच के आदेश दिए हैं।
- जांच में अगर बात सच होगी तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।
- वहीं पुलिस अधीक्षक बाराबंकी वैभव कृष्ण ने बताया कि इस तरह के मामलों में बिना विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच कराए सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि सीधे मुकदमा न दर्ज किया जाए।
- प्रकरण लखनऊ से संबंधित है इसलिए मुकदमा भी वहीं दर्ज होना चाहिए।
- फिलहाल यहां के डाक्टरों की भूमिका की जांच शिकायत करने के बाद की जायेगी।