उत्तर प्रदेश के बरेली में एक अनोखा मामला सामने आया जहाँ दो जानवरों की तकरार के बीच इंसान के दखल से हंगामा मचा गया।दो जानवरों की तकरार में इंसान का दखल कितना भारी पड़ सकता है, यह बानगी भर है,साथ में मिसाल भी संवेदनशील और हीनता की, बरेली के सुभाषनगर की रेलवे कॉलोनी के दुलारे कुत्ते लालू की रेलकर्मी के पालतू कुत्ते जॉनी से मामूली भिडंत हो गई, खींचतान में भारी मुहल्ले का शेर पड़ा, जो पालतू जॉनी के मालिकों को बेहद नागवार गुजरा, फिर क्या था, उसके पक्ष से चार लोग लाठी-डंडे लेकर निकल आए, लालू पर टूट पड़े, मार-मारकर उसे अधमरा कर दिया, इतना ही नहीं, सौ रुपये का नमक डालकर जिंदा दफन कर दिया, जब मुहल्ले के लोगों को घटना की सूचना हुई तो बिफर गए, आरोपियों ने उनपर भी हमले की कोशिश की, गनीमत थी, सूचना पर पुलिस पहुंची, एक आरोपी को गिरफ्तार कर फिर कुत्ते का शव आईवीआरआई में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
बरेली शहर में सिर्फ 13 पालतू कुत्ते
- बरेली में कुत्तों की लड़ाई के बीच इंसानी दखल ने हंगामा मचा दिया।
- मोहल्ले के दुलारे कुत्ते लालू और रेलकर्मी के पालतू कुत्ते जॉनी के बीच हुई मामूली भिडंत।
- जिसके बार जानी के मालिकों नें लाठी-डंडे से मार-मार कर लालू को अधमरा कर दिया ।
- लेकिन इसका अंत यहीं नही हुआ उन्होंने सौ रुपये का नमक डालकर लालू को जिंदा ही दफना दिया।
- इस घटना की सूचना मुहाले के लोगों को लगी तो वो बिफर पड़े ।
- लेकिन आरोपियों ने उनपर भी हमले की कोशिश की लेकिन ओलीस सने समय पर पहुँच कर स्थिति को संभाल लिया।
- जिसके बाद एक एक आरोपी को गिरफ्तार कर फिर कुत्ते का शव आईवीआरआई में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
- जहाँ न डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया और बताया कि हेड इंजरी के चलते लालू की मौत हुई है।
- बता दें कि मुहल्ले में ही पैदा हुआ लालू को सभी खाना खिलते थे।
- वो बच्चों के साथ खेलता और चोरों तथा दुसरे आवारा जानवरों कॉलोनी में घुसने नही देता था।
- इसी सुरक्षा और वफादारी के चलते लालू पूरे मुहल्ले का दुलारा था।
- पीएफए कार्यकर्ता धीरज पाठक का कहना है कि कुत्ते की मौत की सूचना केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को दी गई थी।
- इसके बाद मेनका ने इंस्पेक्टर सुभाषनगर से बात की।
- फिर कुत्ते का आईवीआरआई में पोस्टमार्टम कराया गया।
- बता दें की बरेली शहर में महज 13 पालतू कुत्ते हैं, बात चौंकाने वाली है, सुनने में यह बात अटपटी जरुर है।
- लेकिन नगर निगम का रिकॉर्ड यह बता रहा है।
- नियम यह है कि एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने के बाद कुत्तों का पंजीकरण निगम में कराना चाहिए।
- महज 9 लोगों ने 13 कुत्तों का पंजीकरण कराया है।
- कुत्ते के पंजीकरण पर दस रुपये प्रतिवर्ष शुल्क देना होता है।
- नगर निगम ने वर्ष 2016 – 2017 में पालतू कुत्तों से 10 हजार रुपये शुल्क लेने का लक्ष्य रखा था।
- 9 महीने गुजरने के बाद भी 60 रुपये वसूली हो सकी है।
- जबकि निगम को पिछले साल 120 रुपये शुल्क मिला था।
- स्वास्थय विभाग पालतू कुत्तों का पंजीकरण कराने के लिए किसी भी कुत्ता पालने वाले को नोटिस तक नहीं भेजा।
- जबकि लाइसेंस न लेने पर 5000 रुपये जुर्माना वसूलने के निर्देश है।
- लावारिस जानवरों का जिम्मा संभालने वाली शालिनी अग्रवाल आरोड़ा, अध्यक्ष ( Mercy for All ) ने कहा, निगम में पालतू कुत्तों का पंजीकरण होना काफी जरुरी है, लेकिन लोग नहीं कराते।
- इसलिए शहर में जागरुकता अभियान चलाएंगे, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग पंजीकरण कराएं।
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