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चित्रकूट में 70 साल बाद भी सड़क की आस में ग्रामीण

basic need no road no vote chitrakoot villagers asked after 27 years wait

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देश विकास के पथ पर है, इसका आंकलन गाँवों से हो सकता है. भारत में अभी ऐसे कई गाँव है जहाँ मूलभूत सुविधाएँ तक नहीं है. उन्हीं में से एक है यूपी का चित्रकूट. वैसे तो चित्रकूट में कमियों का अम्बार हैं और लोग उन्हीं कमियों के साथ सदियों से बावस्ता होते आ रहे हैं. पर कुछ ऐसी भी जरूरतें हैं, जिनके बिना उनको काफी मुसीबतें झेलनी पड़ रही है.

1991 में पास, पर अब तक नही बनी गाँव में सड़क:

धर्मनगरी चित्रकूट में न जाने कितने ऐसे गांव होंगे, जहां आज भी मूलभूत सुविधाएं नही पहुंची। लेकिन मुख्यालय से लगभग 50 किमी की दूरी पर बसे रानीपुर-गिदुरहा गांव और उसके आसपास बसे करीब आधा दर्जन मजरों में रह रहे हजारो ग्रामीणों को गाँव में सड़क ना होने से काफी दिक्कते होती है.

आजादी के सत्तर साल बीत चुके है पर अभी तक रानीपुर-गिदुरहा गांव में सड़क नही बनी है. इस सड़क के न बनने से ग्रामीणों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। बता दे कि प्रशासन किस हद्द तक अलसा सकता हैं कि 27 साल पहले साल 1991 में इसी सम्पर्क मार्ग के निर्माण के लिए सभी ग्रामीणों ने तत्कालीन चुनाव का बहिष्कार कर दिया था.

सड़क ना होने से घने जंगलों से बावस्ता होते हैं ग्रामीण:

ग्रामीणों ने चुनाव का बहिस्कार करते हुए ‘रोड नही तो वोट नही’ का नारा दिया था। जिसके बाद ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए उसी समय संपर्क मार्ग पर सड़क बनने की मांग पास हो गयी. निर्माण कार्य भी शुरू हुआ. पर सिर्फ शुरू हुआ. 27 सालों बाद भी ख़त्म नही हो सका. आज तक सड़क पूरी नही हो सकी.

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ग्रामीणों का कहना है कि रानीपुर कल्याणगढ़ से मानिकपुर तक कि दूरी महज नौ किमी है. जिसमे से चार किमी का रास्ता रानीपुर वन्य जीव बिहार से होकर जाता है । ये रास्ता बहुत उबड़ खाबड़ है, जिसमे जंगली जानवरों ,डकैतो का खतरा भी बना रहता है। इस रास्ते के बन जाने से जिगनवाह, कुबरी ,गिदुरहा ,कटरा और मटिहा आदि गांवों के हजारों ग्रामीणों का आवागमन होता है। इन सभी ग्रामीणों का कहना है कि इस संपर्क मार्ग का बनना बहुत आवश्यक है ।

अब ग्रामीणों का ‘रोड नही तो वोट’ नही अभियान:

सालों से सड़क बनने का इंतज़ार कर रहे ग्रामीणों की आशा अब बिखरती जा रही है. उनका संयम अब जवाब देने लगा हैं. रानीपुर गांव के ग्रामीणों का कहना है कि “अगर ये सड़क नही बनी तो हम सब पुनः ‘रोड नही तो वोट नही’ के नारे के साथ चुनाव का बहिष्कार करेंगें। जब हमे रोड ,पानी जैसी मूलभूत सुविधाएँ ही नही मिलेंगी तो हम वोट डालकर क्या करेंगे.”

उन्होंने बताया, “नेता जी भी सिर्फ वोट मांगने गांव आते हैं।” ग्रामीणों का कहना है कि लोकनिर्माण विभाग द्वारा बार बार आख्या प्रेषित की जाती है कि ग्राम पंचायत सिंगल कनेक्टिविटी के आधार पर सम्पर्क मार्ग से जुड़ा है जो कि पूरी तरह से गलत है। ग्राम पंचायत किसी भी सम्पर्क मार्ग से जुड़ा हुआ नही है।

बहरहाल ग्रामीणों का भी सही कहना हैं, जब उनके क्षेत्र के विकास के नाम पर सालों से एक सड़क तक नही बन सकी, तो वोट देकर उनका क्या लाभ होगा. देखना तो अब यह है कि सड़क बनने में अभी और कितने साल लगते है. प्रशासन की नींद कब खुलती है और ग्रामीणों की सुध कब ली जाती है.

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