दिव्यांगों के सशक्तिकरण में सबसे बड़ा रोड़ा गरीबी है। बेहतर रोजगार के मौके देकर ही इनको सही अर्थ में मु यधारा में जोडक़र खुशहाल बनाया जा सकता है। दिव्यांगों को रोजगार के समान अवसर मिलें, इसके लिये बेहद जरूरी है कि शिक्षा के साथ सॉफ्ट स्क्ल्सि की व्यवस्था की जाए। ये बातें वीसी डॉ. निशीथ राय ने डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास यूनिवर्सिटी और सार्थक एजूकेशनल ट्रस्ट (नई दिल्ली) की ओर से आयोजित गोलमेज सम्मलेन में कही।
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साइन होगा एमओयू
- दिव्यांगों के लिए समान कार्य अवसर की पहल पर ‘मंथन’ शीर्षक से सम्मलेन आयोजित हुआ।
- इसमें डॉ. निशीथ राय ने कहा कि दिव्यांगों को मुख्य धारा में जोडऩे के लिए रणनीतियां बनानी होंगी।
- जिसमें हर दिव्यांग की जरूरतों के हिसाब से उन्हें रोजगार लायक बनाने की साझा कोशिश की जाए।
- वीसी ने कहा कि इस नए अधिनियम में दिव्यांगता की श्रेणियां 7 से बढ़ाकर 21 कर दी गयी है।
- इससे दिव्यांगों को रोजगार मुहैया कराना और चुनौतीपूर्ण होगा।
- दिव्यांगों की सही संख्या जानने के लिये जनगणना से अलग सर्वेक्षण कराये जाने की जरूरत है। जिससे कि इनको रोजगार देने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
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- दिव्यांगों को रोजगार देकर देश के आर्थिक विकास में उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है।
- यदि सभी दिव्यांगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम दिया जाए तब देश की जीडीपी का आकार बढ़ जाएगा।
- सार्थक संस्था के सीईओ डॉ. जितेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि दिव्यांगों की दक्षता बढ़ाने के लिये उन्हें निशुल्क वोकेशनल ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
- प्रोग्राम में एजिस के उस्मानी ने कहा कि दिव्यांगों को रोजगार देने के लिये कार्पोरेट कंपनियों को भी आगे आना होगा।
- होम क्रेडिट ग्रुप के उज्जवल प्रकाश ने क्रेडिट की भूमिका के महत्व को बताया।
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