2 अप्रैल को भारत बंद में हुई हिंसा के बाद दलितों की स्थिति और नाजुक हो चुकी है. मेरठ का एक गाँव ऐसा भी है जहाँ दलितों को निशाना बनाया जा रहा है. खौफ़जदा दलित अपना गाँव छोड़ने को मजबूर हो गये है. गाँव में सन्नाटा पसरा है. लोग अपने घर से निकलने में डर रहे है. आन्दोलन के अगले ही दिन एक दलित की हत्या कर दी गयी. और अब गाँव में दहशत का माहौल है.
3 अप्रैल को एक दलित की कर दी गयी थी हत्या
एससी/एसटी एक्ट पर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलितों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. इस दौरान विरोध प्रदर्शन इतना हिंसक हो गया कि उसका प्रभाव कई दिन बीत जाने के बाद भी आम लोगों के ज़िन्दगी में हावी है. इसका ही एक मामला मेरठ में देखने को मिल रहा है, जहाँ भारत बंद की हिंसा के बाद भी गाँव इस हिंसा से उबर नही पाया. गाँव में खौफ का आलम यह है कि कोई भी अपने घरों से निकलना नही चाहता,बल्कि इस हिंसा के बाद निशाना बन रहे दलित अपना घर-गाँव छोड़ने को मजबूर हो रहे है.
बीती दो अप्रैल को हुए भारत बंद के दौरान मेरठ में गदर मच गया था. हर जगह आगजनी और तोड़फोड़ ने सबको हिला कर रख दिया था. लेकिन इसके बाद अगले दिन तीन अप्रैल को मेरठ के थाना कंकरखेड़ा क्षेत्र के शोभापुर गाँव में एक दलित युवक गोपी की गाँव के ही गुर्जर बिरादरी के युवको ने ताबड़तोड़ गोली बरसाते हुए हत्या कर दी थी.
इस वारदात के बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया लेकिन अब भी पुरे गाँव में दहशत का माहौल है. गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ है और गाँव के मासूम निर्बल लोग संघर्ष के डर से गाँव के बाहर चले गए हैं. इसके अलावा जो किसी काम से बाहर गए हुए थे वो डर व इस हिंसा का निशाना बनने से बचने के लिए अपने घर वापस नही आना चाहते है.
बेरहमी से मारे गये दलित युवक के परिजनों ने बताया कि पुलिस प्रशासन के कहने पर उन्होंने डर के साये में पुलिस बल के साथ गोपी का अंतिमसंस्कार किया.
बता दे कि 14 अप्रैल को दलितों का मसीहा माने जाने वाले बाबा साहब की जयंती है. पर दलितों में खौफ का यह आलम है कि इस बार बाबा साहब की जयंती सादगी से मनाने में भी वह खौफ़जदा है.
मायावती ने लगाया फंसाने का आरोप
गौरतलब है की 8 अप्रैल को बसपा सुप्रीमो मायावती प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर दलितों को फंसाने का आरोप लगा चुकी हैं. उन्होंने कहा था कि बीएसपी की सरकार आने पर ऐसे केस वापस किए जाएंगे. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी सांसद उदित राज ने भी माना है कि 2 अप्रैल की घटना के बाद दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ा है. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए थे. आखिर भारत बंद में दलितों के हिंसक प्रदर्शन में खुद दलित ही मारे जा रहे है. ऐसे में गौरतलब है कि क्या इस हिंसा की आग दलितों ने जलाई थी या वह तो बस शोषण का शिकार हो रहे है.
बहरहाल पुलिस प्रशासन को इस ओर उनकी सुरक्षा पर और ध्यान देने की जरूरत है ताकि दलित अपने घरों से पलायन न करे और कैराना जैसा मामला दोबारा ना दोहराया जाये.
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