उत्तर प्रदेश में एक और एनआरएचएम घोटाले की इबारत लिखी जा रही है। बताया जा रहा है कि हालत ये हैं कि मरीजों को ढ़ोने के लिए फर्जी मरीजों से कॉल करवाई जा रही है। ख़बरें ये भी हैं कि दबाव के चलते हर जिले में फर्जी कॉल कराने का प्रेशर बनाया जा रहा है। कहा ये भी जा रहा है कि सभी एम्बुलेंस ड्राइवरों को एक टारगेट दिया गया है। अगर टारगेट पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें नौकरी से भी निकाला जा रहा है। हालांकि असल मामला क्या है ये जांच का विषय है। इस संबंध में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

whatsapp chating ambulance scam case GVK

बता दें कि जीवीके कम्पनी के पास पूरे उत्तर प्रदेश में 102 एम्बुलेन्स संचालन का ठेका है। कम्पनी के पास 108 एम्बुलेंस संचालन का भी ठेका है। सूत्रों के मुताबिक ऊपरी दबाव के चलते कम्पनी फर्जी मरीजों से फोन काल करवाने पर आमदा है।गाड़ी के पायलटों और EMT पर फर्जी मरीज काल करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इन ड्राइवरों पर जिलों के PM दबाव बना रहे हैं। इस दबाव की कॉल रिकार्डिंग और व्हाट्सएप्प चैट हमारे पास उपलब्ध है।

बताया जा रहा है कि हर गाड़ी के ड्राइवर के ऊपर 12-15 मरीज लाने का टारगेट है। ये टारगेट पूरा नहीं होने पर उन्हें नौकरी से भी निकाला जा रहा है। ख़बरें ये भी हैं कि फर्जी मरीजों का रजिस्टर मेनटेन करके करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा रहा है। ये पूरा खेल सीएमओ की मिलीभगत से हो रहा है। पीड़ितों ने डीएम, सीएमओ से सहित मुख्यमन्त्री से लगाई गुहार लगाई है। इससे साफ जाहिर है कि जीवीके कंपनी मौत का करोबार कर रही है। कम्पनी सरकार की मंसा को पलीता लगा रही है। अगर मामले की जांच हो गई तो अरबों रुपये का घोटाला निकल सकता है। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या जिम्मेदार जीवीके कम्पनी पर जांच कराकर कोई कार्रवाई करेंगे या नहीं?

 

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