2017 के विधानसभा चुनावों में सपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा ने सत्ता में अपनी वापसी की थी। जनता ने भी भाजपा को प्रचंड बहुमत देते हुए अपना जनादेश दिया था। इस बीच उत्तर प्रदेश में भाजपा के 2 विधायकों की चिट्ठी सामने आने से प्रदेश की राजनीति में खलबली मच गई है। ये दोनों विधायक भाजपा के हैं और अपनी सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ने के आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी विधायकों की चिट्ठी सामने आने से सियासी गलियारों में नयी चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं।

भाजपा विधायकों ने लिखी चिट्ठी :

एटा से बीजेपी विधायक वीरेन्द्र लोधी और बदायूं के विधायक धर्मेंद्र कश्यप ने एलडीए में घूसख़ोरी की जांच की मांग की है। विधायकों के अनुसार, लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी (LDA) के अफसर नक़्शा पास करने के लिए लाखों की घूस ले रहे हैं। बीजेपी विधायकों का आरोप है कि इस काम के 30 से 50 लाख रुपये लिए जा रहे हैं। विधायकों ने राज्य सतर्कता आयोग को चिट्ठी लिख कर विधायकों ने गोपनीय जांच की मांग की है। एटा की मारहरा से बीजेपी विधायक वीरेन्द्र लोधी ने लिखा है कि पिछली सरकारों के मुकाबले अब भ्रष्टाचार दोगुना हो गया है। हर काम के लिए अफसरों ने रेट बना लिया है। लोधी का आरोप है कि एलडीए ने शान ए अवध बिल्डिंग बेचने में योगी सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है।

बदायूं विधायक ने भी की शिकायत :

यूपी के बदायूं जिले की शेखपुर से बीजेपी विधायक धर्मेंद्र शाक्य ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि एलडीए अफसर और कर्मचारी लखनऊ में अवैध निर्माण करा कर करोंड़ों के वारे न्यारे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास कई लोगों ने एलडीए में जारी गड़बड़ियों की शिकायत की थी इसीलिए उन्होंने राज्य सतर्कता आयोग के अध्यक्ष से पूरे मामले की जांच की मांग की है। बीजेपी विधायकों के भ्रष्टाचार के आरोप से भरी हुई चिट्ठी सामने आने से सियासी गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है।

हर जांच के लिए हैं तैयार :

भाजपा विधायकों के लेटर बम पर लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष प्रभु नारायण सिंह का कहना है कि कहीं भी किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि वे हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं। हालाँकि ये पहली बार किसी भाजपा विधायक ने अपनी ही सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ने का आरोप नहीं लगाया है। इसके पहले योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर कई बार घूस का रेट बढ़ जाने की बात कह चुके हैं। उन्होंने बीजेपी सरकार में अधिकारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठ कर अपना विरोध दर्ज कराया था।

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