भाजपा सांसद के गोद लिए गांव में कुछ नहीं मिलता आश्वासन के सिवाय
- सोनभद्र : वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी छोटेलाल खरवार को सांसद चुना गया।
- 16 मई को ही मतगणना हुई थी। यानी इन्हें सांसद बने चार साल का समय पूरा हो गया।
पांच साल के कार्यकाल में महज एक साल बचा है
- अब हर किसी के मन में सवाल उठ रहा है कि सांसद ने चार साल में क्या किया
- कितना किया और अब क्या करना बाकी है।
- हालांकि सांसद बचे हुए एक साल में बहुत कुछ करने का दंभ भी भर रहे हैं।
- संसदीय क्षेत्र का विकास करने के लिए हर सांसद को एक साल में पांच करोड़ रुपये की धनराशि मिलती है।
यह सांसद निधि के नाम से जानी जाती है
- इससे सांसद उन क्षेत्रों में विकास करते हैं जहां विकास की किरण पहुंचने में दिक्कत आ रही हो |
- इसके साथ ही जहां प्रशासन काम न करा पाये वहां भी सांसद निधि का धन खर्च किया जाता है।
- राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र के सांसद छोटेलाल खरवार ने अपनी निधि का करीब-करीब पूरा धन खर्च कर दिया है।
- चार सालों में उन्होंने करीब साढ़े 17 करोड़ रुपये से 250 कार्यों को कराया है।
- इसमें बिजली, पानी, सड़क और स्वच्छता पर सबसे ज्यादा धन खर्च किया गया है।
- हालांकि इस बात का मलाल हर किसी को है कि स्वच्छता पर इतना ध्यान होने के बावजूद सांसद के गोद लिए गए गांव यानी सांसद आदर्श गांव नगवां और दरेंव दोनों में एक भी गांव अभी तक ओडीएफ नहीं हो सके हैं।
- सांसद छोटेलाल खरवार ने अपने चार साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा कार्य शौचालय निर्माण पर कराया है।
- उन्होंने पहले साल दोनों किस्त में मिले पांच करोड़ रुपये में से करीब एक करोड़ रुपये का केवल शौचालय निर्माण कराया था।
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इसमें विद्यालयों में शौचालय निर्माण खास रहा
- इसके बाद दूसरे साल के कार्यकाल में उन्होंने सड़क, बिजली और पेयजल पर निधि का ज्यादा से ज्यादा धन खर्च किया। तीसरा साल नाली निर्माण, शौचालय निर्माण, स्कूल भवन निर्माण, सड़क, खड़ंजा व विद्युतीकरण पर फोकस रहा।
- चौथे साल में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले आरओ प्लांट, सौर ऊर्जा स्ट्रीट लाइट लगाने पर खास ध्यान रहा।
- दुद्धी (सोनभद्र) : ढोल नगाढ़े की थाप पर पांच माह पूर्व खुशियां मनाने वाले नगवां गांव के आदिवासी अपने को अब ठगा महसूस कर रहे हैं।
- बीते छह नवंबर को जिला मुख्यालय पर बाकायदे गांव को गोद लेने की घोषणा करने वाले भाजपा सांसद छोटेलाल खरवार अब अपनी जिम्मेदारियों से कन्नी काटते दिख रहे हैं।
- 146 दिन व्यतीत होने के बावजूद ग्रामीणों को लच्छेदार भाषण के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
- वहां के बुजुर्ग ग्राम प्रधान ईश्वरी प्रसाद खरवार व बीडीसी हरिकिशुन सिंह खरवार और उनके समर्थकों ने गांव की तकदीर व तस्वीर बदलने और अच्छे दिन की चाहत में ढोल-नगाढ़े की थाप पर उस दिन जमकर थिरकते हुए अपनी खुशियों का इजहार किया था।
- इतना ही नहीं, घोषणा होने के बाद विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से चार बार गांव आए सांसद को सिर आंखों पर बैठाया। चमक भरी निगाहों के साथ ग्रामीणों ने बेबाकी के साथ उनके समक्ष अपनी समस्याओं को रखा।
- लालसा व विश्वास के साथ गांव के विकास का खाका तैयार कर अपने सुझाव रखे किंतु जमीनी हकीकत यह है कि गुमनाम सुराजियों के इस आदिवासी बहुल गांव के लोगों को अब तक कोरे आश्वासन के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
ग्राम प्रधान ने व्यक्त की पीड़ा
- ग्राम प्रधान ईश्वरी प्रसाद ने जागरण को बताया कि इस मुद्दे पर जब कभी सांसद से बात की गई |
- तो उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों से वार्ता करने का आश्वासन दिया |
- और वह सांत्वना भरे शब्दों में संबंधित अधिकारियों से मिलने की सलाह भी दी।
- इसके आधार पर जब वह सांसद का हवाला देते हुए एक जिम्मेदार अधिकारी से मिले तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि गांव को महज ‘मन से सांसद आदर्श गांव’ मानिए।
- अधिकारी ने कहा कि इसके लिए कोई अलग से बजट का प्रावधान नही है।
- जो योजना चल रही हैं, उसी के अधीन गांव में कार्य कराएं।
- अधिकारी का जबाव सुन वह अपने आप को ठगा महसूस करने लगे।
- बीडीसी हरिकिशुन सिंह खरवार ने सांसद गांव घोषित करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब उनके हाथ में कुछ नही था तो इसकी घोषणा ही क्यों की गई।
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