उत्तर प्रदेश के शामली जिला की कैराना संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद हुकुम सिंह (82) का बीमारी के चलते नोएडा के जेपी अस्पताल में निधन हो गया उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था। सांसद हुकुम सिंह का शव देर रात 11:58 बजे यहां एंबुलेंस से कैराना पहुंचा। शव पहुंचने से पहले यमुना पुल पर सीडीओ, सीओ सहित पुलिस और प्रशासन के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
कुछ अफसरों ने बताया कि सांसद की बेटी मृगांका सिंह, नाती सहित परिवार के अन्य लोग भी यहां रहे। राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी योगी आदित्यनाथ और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडेय समेत कई नेताओं ने सांसद हुकम सिंह के निधन पर शोक जताया है। मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रविवार सवेरे कैराना (शामली) जाएंगे।
राज्यपाल राम नाईक शोक संदेश में कहा कि हुकुम सिंह किसानों से जुड़े जमीनी स्तर के राजनेता थे। विधायक, मंत्री और सांसद रहते हुए उन्होंने सामाजिक जीवन में अहम योगदान दिया। उनके निधन से राजनीति की अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने शोकाकुल परिवारीजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उनके निधन से कुछ ही समय पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय उन्हें देखकर ही निकले थे। हुकुम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले गुर्जर नेता हरिश्चंद्र भाटी व योगेंद्र चौधरी ने बताया कि हुकुम सिंह कैराना विधानसभा से लगातार सात बार विधायक रहे थे।
वर्तमान में कैराना से ही भाजपा सांसद थे। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश में एनडी तिवारी, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह व मायावती की सरकारों में मंत्री रहे थे। वर्तमान में सांसद बनने के बाद लोकसभा स्पीकर की संसदीय समिति में सदस्य के साथ ही भारत सरकार के जल बोर्ड समिति के अध्यक्ष भी थे। इसके अलावा ग्रेनो में गुर्जर शोध संस्कृति संस्थान को बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके निधन से क्षेत्र के लोगों में शोक है।
पीएम मोदी ने भी जाहिर किया दुःख
वह पिछले एक महीने से नोएडा के जेपी अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हुकुम सिंह के निधन पर दुख जाहिर किया है। बहुत दुखद ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ती दे हुकुम सिंह का जन्म 5 अप्रैल 1938 को कैराना में हुआ था। उन्होंने पीसीएस (जे) की परीक्षा पास की थी, लेकिन जूडिशल ऑफिसर के रूप में नियुक्ति लेने की जगह भारतीय सेना से जुड़ने का फैसला किया। भारत-चीन युद्ध के बाद वह सेना से जुड़े।