पूरा हुआ भाजपा सांसद का कार्यकाल पर नहीं बदला गांव का सूरत ए हाल
- फैजाबाद: केंद्र में सत्ता संभालते ही पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को एक गांव गोद लेने का निर्देश दिया था।
- सांसद लल्लू सिंह ने मिल्कीपुर तहसील के अमानीगंज ब्लॉक का तिंदौली गांव गोद लिया।
- सांसद का तो कार्यकाल पूरा होने को है, गांव की सूरत है जो बदली ही नहीं।
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- केंद्र और प्रदेश सरकार की एक भी ऐसी योजना नहीं है, जो इस गांव में पूरी हो सकी हो।
- गांव को गोद लेने के बाद उम्मीद थी कि गांव को सांसद का ‘दुलार’ भी मिलेगा।
- विकास की दौड़ में यह लोकसभा का सबसे आगे होगा। लेकिन गांव की तस्वीर सारे सपने चूर कर देती है।
हर तरफ फैली है गंदगी
- अमानीगंज ब्लॉक से दक्षिण में करीब 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित तिन्दौली गांव को अब सांसद आदर्श ग्राम कहा जाता है।
- यहां की आबादी करीब 4000 है।
- गांव की सूरत कुछ ऐसी है कि यहां कीचड़ से भरी बजबजाती नालियां दिखती हैं,
- जगह-जगह कूड़े का ढेर दिखता है, आबादी अंधेरे में डूबी नजर आती है।
- स्वच्छ भारत मिशन केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में है।
प्रदेश में भी बीजेपी सरकार एक साल का कार्यकाल पूरा करने को है
- लेकिन सांसद अपने गोद लिए गांव में ही सफाई नहीं करवा पाते।
- गांव के विनोद कुमार सिंह कहते हैं सांसद के गोद लिए
- गांव में उपेक्षा का आलम यह है कि यहां गरीब परिवार अब भी टूटी फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं,
- जबकि केंद्र और प्रदेश सरकारें प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर खुशनुमा आंकड़े पेश कर रही हैं।
- प्रधानमंत्री आवास में चयनित होने के बाद भी सभी को आवास नहीं मिल पा रहे।
- ग्रामीणों का आरोप है कि सांसद यहां यदा-कदा ही आए।
- गांव वालों के इस आरोप से सांसद की बेरुखी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
योजनाएं जो पूरी नहीं हो सकीं
- लल्लू सिंह के गोद लिए गांव में एक-एक करके सभी योजनाओं का दम फूलता दिखता है।
- प्रदेश की योजनाओं को तो छोड़ ही दिया जाए
- केंद्र सरकार की योजनाओं को भी यहां मुस्तैदी से लागू कराने की कोशिश नहीं हुई।
- प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 196 लाभार्थियों का चयन हुआ
- लेकिन योजनाओं का लाभ दिलाने की सुस्ती इस कदर है कि अब तक केवल 42 परिवारों को ही मिल सका है।
- जिन लोगों को योजना का लाभ मिला भी है, उन्हें पूरा भुगतान नहीं किया गया।
- उम्मीद थी कि सड़कें यहां कम से कम सांसद निधि से तो जरूर दुरुस्त हो जाएंगी
रास्ते अब भी खस्ताहाल हैं
- पढ़ाई के लिए गांव में केवल एक प्राथमिक और एक उच्च प्राथमिक विद्यालय है।
- हाई स्कूल और इंटर कॉलेज एक भी नहीं है। गांव गोद लिए जाने के बाद उम्मीद थी कि सांसद की नजर इस समस्या पर भी पड़ेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
- गांव में डाकघर तक नहीं है, ऐसे में बैंक शाखा की बात भी बेमानी सी लगती है।
- खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित करने के लिए गांव का चयन किया जा चुका है।
- लेकिन स्थिति यह है कि यहां के लिए स्वीकृत 247 शौचालयों में से 200 ही बन सके हैं।
- बिजली: आदर्श ग्राम का हाल यह है कि यहां की 25 फीसदी आबादी अब भी अंधेरे में रहने को मजबूर है।
- सड़क: तिंदौली खास से ग्राम सभा के सभी आठ मजरों को जोड़ने वाले संपर्क मार्गों की स्थिति बेहद खराब है।
- प्रदेश में योगी सरकार के बाद गड्ढामुक्ति का अभियान चला, फिर भी सांसद यहां की सड़कों को दुरुस्त नहीं करा सके।
- पानी: गांव में विकास के नाम पर कुल जमा एक पानी की टंकी ही दिखती है।
- यह भी अभी निर्माणाधीन है। ऐसे में इससे होने वाली वॉटर सप्लाई की बात करना ही बेमानी है।
- स्वास्थ्य: गांव की उपेक्षा का आलम यह है कि यहां न तो पंचायत भवन हैं और न ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं का आसानी से हाल जाना जा सकता है।
- आंगनबाड़ी केंद्र, बारातघर, डाकघर जैसी सुविधाओं से भी सांसद आदर्श ग्राम के निवासी महरूम हैं।
- रोजगार: स्वरोजगार के लिए तमाम तरह की सुविधाएं सरकार की तरफ से चल रही हैं।
- लेकिन यहां के लोगों को इसका लाभ सांसद नहीं दिलवा सके हैं। गांव के बुजुर्ग आशिक अली के मुताबिक तकरीबन 400 से ज्यादा युवक रोजी की तलाश में इस गांव से पलायन कर चुके हैं।
रोजगार न होने की सूरत में लोगों का पलायन जारी है
- पेंशन: यहां के बुजुर्ग भी उपेक्षित हैं।
- गांव की बुजुर्ग सोना देवी कहती हैं कि यहां केवल 25 महिलाओं को ही वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल रहा है |
- जबकि पात्र 100 से ज्यादा हैं। समाजवादी पेंशन की जांच चल रही है और जिनको इसका लाभ मिलता था
- उन्हें दूसरी योजना का फायदा नहीं दिया जा रहा।
- सरकार द्वारा शुरू की गई सभी योजनाएं लाभार्थियों तक पहुंचाई जा रही हैं।
- प्रधानमंत्री आवास, शौचालय और पेंशन योजना का लाभ सभी पात्रों को दिलाने की कोशिश जारी है।
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