2019 के लोकसभा चुनावों के पहले सभी की नजर कैराना में होने वाले उपचुनावों पर लगी हुई है। विपक्ष ने जहाँ जातिगत समीकरण को देखते हुए सपा की तबस्सुम हसन को राष्ट्रीय लोक दल के चुनाव निशान पर उतारा है तो वहीँ भाजपा ने अपने दिवांगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस बीच भाजपा ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर दाँव खेलना शुरू कर दिया है। भाजपा ने बड़ी चाल चलते हुए पश्चिम यूपी के उस नेता को अपनी पार्टी में शामिल कराया है जो कैराना उपचुनाव में उसका खेल खराब कर सकता था। इस नेता के भाजपा में जाने से विपक्ष में खलबली मच गयी है।
रालोद के सिम्बल पर लड़ेंगी सपा प्रत्याशी :
जयंत चौधरी की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मीटिंग के बाद साफ़ हो गया है कि कैराना लोकसभा उपचुनाव में राष्ट्रीय लोक दल भाजपा के खिलाफ उतरेगा। सपा ने अपना समर्थन रालोद को देते हुए शर्त रखी थी कि प्रत्याशी उसकी पार्टी से होना चाहिए जिसे रालोद ने मान लिया है। अब कैराना लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी तबस्सुम हसन रालोद के सिम्बल पर चुनाव लड़ेंगी। इसका अर्थ है कि प्रत्याशी समाजवादी पार्टी का होगा और चुनाव चिन्ह इस उपचुनाव में राष्ट्रीय लोक दल का होगा। गठबंधन के कोटे के तहत सपा ने ये सीट रालोद को दी है। इसके तहत सपा नेत्री तबस्सुम बेगम को रालोद के सिम्बल पर चुनाव लड़ाया जाएगा।
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राकेश सैनी ने ज्वाइन की भाजपा :
कैराना उपचुनाव में भाजपा की मुसीबत बन चुके बागी नेता राकेश सैनी को पार्टी ने मना लिया है। चर्चा थी कि राकेश के चुनाव लड़ने से कैराना का सैनी वोट सीधे उन्हें मिल सकता था, ऐसे में उनके पार्टी में आने से भाजपा ने राहत की सांस ली है। बीते दिन भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष यशवंत सैनी ने राकेश से मुलाकात की और उन्हें अपना नामांकन वापस लेने के लिए राजी कर लिया। राकेश सैनी ने निकाय चुनाव के दौरान भाजपा से टिकट न मिलने पर बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और भाजपा के प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी थी। कैराना उपचुनाव में उनके चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से कई बड़े नेता उन्हें मनाने में लगे थे और आख़िरकार उन्हें इस काम में सफलता मिली।