उत्तर प्रदेश में 58.2% किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं। यूपी में 27,984 रुपये प्रति एक किसान परिवार पर कर्ज है।
- किसानों पर कर्ज के मामले में यूपी ‘टॉप 5’ राज्यों में शामिल है।
- यूपी के अलावा इस लिस्ट में मध्य प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और छत्तीसगढ़ भी शामिल हैं।
- विधानसभा चुनाव 2017 में यूपी के किसानों पर कर्ज के मामले में राजनीतिक पार्टियां कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
यह हैं पार्टियों के चुनावी वादे
- भाजपा ने सभी लघु और सीमांत किसानों का फसली ऋण माफ करने का ऐलान किया है।
- भाजपा ने ब्याज मुक्त कर्ज के साथ ही 120 दिन में गन्ना किसानों को बकाया राशि का भुगतान करने,
- भविष्य में फसल बेचने के 14 दिनों में पूरा भुगतान करने का वादा,
- भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए दो लाख रुपये नि:शुल्क बीमा, 20 हजार रुपये का मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड बनाने का किसानों से अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया है।
- समाजवादी पार्टी ने किसानों को सस्ती दर पर कर्ज देने, किसान कल्याण कोष की स्थापना करने,
- मंडियों के आधुनिकीकरण और सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड को पानी उपलब्ध कराने,
- सब्जियों और फलों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने, ग्रीन हाउस निर्माण को प्रोत्साहन देने,
- व्यावहारिक फसल बीमा लागू करने का अपने घोषणा पत्र में वादा किया है।
- बहुजन समाज पार्टी की मुखिया की तरफ से कोई चुनावी घोषणापत्र नहीं जारी किया गया।
- लेकिन मायावती भी किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का दावा कर रहीं हैं।
- वह नोटबंदी के नाम पर किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान होने जैसे तमाम लुभावने वादे कर रहीं हैं।
- कांग्रेस ने भी किसानों को अनाज का ज्यादा मूल्य दिलाने के लिए कृषि समर्थन मूल्य आयोग बनाने,
- चीनी मिलों को अधिक सशक्त बनाने, किसानों की कर्जमाफी करने,
- बिजली बिल की दरों को आधा करने के साथ कई तमाम लुभावने वादे ने घोषणा पत्र में शामिल किये हैं।
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