उत्तर प्रदेश आगामी लोकसभा चुनाव के लिए काफी महत्वपूर्ण है. ख़ास कर तब जब यूपी के दो बड़े दल गठबंधन में आ गये हैं और भाजपा के सहयोगी दलों के 2019 चुनावों में एनडीए का साथ छोड़ने की खबरें सुर्ख़ियों में हैं. इस बाबत भाजपा को न केवल सपा-बसपा के गठबंधन की काट ढूंढनी है बल्कि अपने सहयोगी दलों से भी बनाये रखने की जरूरत हैं.
इसी के चलते भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यूपी में हैं. अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान वो आगामी चुनाव के लिए चातुर्थिक रणनीति बनाने में लगे हैं. न केवल यूपी के जिलावार, बल्कि जाति समीकरण के आधार, संगठन और सांसद-विधायक और मंत्री के स्तर पर और इन सब से बढ़ कर सहयोगी दलों से जुड़े रहने की दिशा में हर तरह की रणनीती और बैठकें नियोजित हो रहीं हैं.
प्रदेश में अपनी 73 सीटें बरक़रार रखने के लिए भाजपा को अपने सहयोगी दल जैसे अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाला अपना दल (एस) और ओपी राजभर की सुभासपा की जरूरत हैं.
अपना दल (एस):
प्रदेश की 12 से 15 सीटों पर पटेल बिरादरी के एक से डेढ़ लाख मतदाता हैं. जिनकों अपने पक्ष में बरकार रखने के लिए शाह बीते दिन अपना दल(एस) की नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल से मिले. मिर्जापुर में हुई इस मुलाक़ात में लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर चर्चा होने की खबर है.
अपना दल और उसके मतदाताओं में भाजपा के प्रति विश्वास बढाने के लिए ही अनुप्रिया को केंद्र में पिछड़े वर्ग (ओबीसी) का चेहरा बनाया जा सकता है.
इतना ही नहीं उन्हें आगामी एमपी चुनावों में स्टार प्रचारक बनाने की सम्भावना हैं. गौरतलब हैं कि इससे पहले अनुप्रिया पटेल को गुजरात चुनावों में भी भाजपा ने प्रचारक के तौर पर उतारा था.
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बढ़ेगी अद (एस) की भागेदारी:
अपना दल के कुछ नेताओं को को अगले मंत्रिमडल विस्तार में मंत्री पद मिलने की भी आशंका है. इसके साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में अपना दल एस को चार सीटें दिए जाने पर भी चर्चा हो रही है.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी:
वहीं हमेशा अपने बयानों से सुर्ख़ियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर के दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी भाजपा नाखुश नहीं करना चाहती हैं. तभी तो सरकार के खिलाफ दिए उनके बयानों के बाद भी भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों में ओपी राजभर का सहयोग बनाये रखना चाहती हैं.
वैसे राजभर ने भी कई बार ये स्पष्ट किया हैं कि वह 2019 में भी भाजपा का साथ देंगे. लेकिन बावजूद इसके भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी सुभासपा को जोड़ने रखने के लिए उनके दल को भी अहम् स्थिति देने पर विचार कर रहा है.