एक बच्चा जिसके कंधो पर जिम्मेदारी का बोझ और अपने उज्ज्वल भविष्य की चिंता है, वो मासूम नौनिहाल तब भी अपने हालातों के सामने घुटने नहीं टेकता बल्कि मेहनत के बल पर अपनी जिम्मेदारी और अपने भविष्य दोंनो को लिए सड़क किनारे बैठा नजर आता है. उस मासूम को राजधानी लखनऊ के इंजीनियरिंग चौराहे के पास देखा जा सकता हैं. हाथों में गुब्बारें और किताब लिए. 

मासूम संदेश की लगन और सपने कभी नहीं थकते:  

वो बच्चा गुब्बारें खेलने के लिए नहीं, बल्कि रोजी रोटी चलाने के लिए हाथों में गुब्बारे लिए सडकों पर टहलता रहता हैं और देर रात जब सब दुकानें बंद हो जाती हैं, सड़कें सूनसान और शांतिनुमा माहौल में तब्दील हो जाती हैं, तो यहीं मासूम जो दिन भर से गुब्बारें बेंचने के बाद थक कर चूर हो जाता है, उसकी लगन और अपने सपनों को पूरी करने की ख्वाइसें तब भी उर्जावार रहती हैं.

ऐसा ही नजारा बीती रात का हैं, रात का तक़रीबन 11.30 हो चुका था. दुकानें बंद जो चुकीं थी, ठेले वाले अपने ठेले का सामान समेट कर अपने घर की ओर रवाना हो चुके थे।

पुरनिया चौराहे के पास सड़क के किनारे एक बच्चा उम्र तक़रीबन 11 साल एक होर्डिंग के पिलर के सहारे बैठ कर अपने भविष्य को लिख रहा था।

11 साल का नौनिहाल मेहनत से कमाता है और इज्जत की खाता है:

क्लास 5th में पढ़ने वाले इस मासूम का नाम संदेश है जो पल्टन छावनी में रहता है और वहीं के सरस्वती मंदिर स्कूल में पांचवी में पढ़ता है. शाम होते ही संदेश अपने स्कूल का होमवर्क अपने पेशे के साथ करना शुरु करता है। शाम में वो इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे से पुरनिया चौराहे तक बलून (गुब्बारा) बेंचने का काम करता है और जब उसे थोड़ा भी खाली वक़्त मिलता है तो वह उस वक्त में सारे गुब्बारे एक खंभे में बांध कर उसी के नीचे बैठ का पढ़ने लगता।

उसका मक़सद साफ है उसे भीख माँगना गंवारा नहीं. 11 साल का ये अपनी मेहनत से काम करके अपने परिवार की मदद करना ज्यादा बेहतर समझता हैं. इसीलिये 10 रुपये के ये गुब्बारे सदकों पर घंटों खड़ें रह कर बेचता हैं और इज्जत की कमाता है. वहीं इसी के साथ संदेश खुद की पढ़ाई के सहारे अपनी मेहनत को एक सही दिशा भी देना चाहता हैं.

इस उम्र में संदेश के इस जज्बे और लगन को  uttarpradesh.org का सलाम….

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