गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का आकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा हैं. 5 महीनों में अब तक 900 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी हैं.
5 महीनों में 900 से ज्यादा बच्चों की मौत:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में पिछले साल ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत होने पर चर्चा में आया बीआरडी अस्पताल बच्चों की मौत के आकड़ों में सबसे आगे हैं.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में पांच महीनों में 907 बच्चों की मौत हो चुकी हैं. इसमें कई अव्यवस्थाओं के चलते बच्चों की बिमारियों का सही इलाज ना हो पाना सबसे बड़ा कारण हैं.
आकड़ों पर नजर डाले तो इन 5 महीनों में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त 63 बच्चों की मौत हुई. वहीं इस दौरान सबसे अधिक मौते एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) में हुईं. करीब 587 बच्चों की मौत एनआईसीयू में हुई.
बता दें कि ये बच्चे संक्रमण, सांस सम्बन्धी दिक्कतों, कम वजन आदि बीमारियों से पीड़ित थे।
सिर्फ मार्च माह में 235 मासूमों की मौत:
इन आकड़ों के हिसाब से जनवरी 2018 से मई तक 5 महीनों में सबसे ज्यादा बच्चों की मौते मार्च में हुई. मार्च में जहाँ एनआईसीयू में 155 वहीं पीआईसीयू में 80 बच्चे मिला कर कुल 235 बच्चे मर चुके हैं.
गौरतलब हैं कि बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में नवजात शिशुओं को एनआईसीयू और बड़े बच्चों को पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती किया जाता है। पीआईसीयू में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त बच्चों को भी इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।
जनवरी 2018 के आकड़ें:
-इसके अलावा जनवरी में एनआईसीयू में 89 वहीं पीआईसीयू में 40 बच्चों की मौत हुई.
जनवरी में कुल 129 बच्चों की मौत.
फरवरी 2018 के आकड़ें:
फरवरी में एनआईसीयू में 85 वहीं पीआईसीयू में 55 बच्चों की मौत हुई.
फरवरी में कुल 140 बच्चों की मौत.
मार्च 2018 के आकड़ें:
मार्च में एनआईसीयू में 155 वहीं पीआईसीयू में 80 बच्चों की मौत हुई.
मार्च में कुल 235 बच्चों की मौत.
अप्रैल 2018 के आकड़ें:
अप्रैल में एनआईसीयू में 118 वहीं पीआईसीयू में 68 बच्चों की मौत हुई.
अप्रैल में कुल 186 बच्चों की मौत.
मई 2018 के आकड़ें:
मई में एनआईसीयू में 120 वहीं पीआईसीयू में 62 बच्चों की मौत हुई.
मई में कुल 182 बच्चों की मौत.
जून 2018 के आकड़ें:
जून महीने में केवल एक हफ्ता ही बीता हैं और इन 7 दिनों में ही 35 बच्चों की मौत हो चुकी हैं.
इनमे एनआईसीयू में 20 और पीआईसीयू में 15 बच्चों की अब तक मौत हो चुकी हैं.
2017 में 5 महीनों में 993 बच्चों की मौत:
पिछले साल इन् मौतों का आकड़ा बहुत ज्यादा था. इन्हीं 5 महीनों के आकड़ों को उठाया जाए तो वर्ष 2017 में पांच महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, और मई में 993 बच्चों की मौत हुई थी।
-इसमें 642 एनआईसीयू में और 351 पीआईसीयू में भर्ती थे।
जनवरी 2017 के आकड़ें:
-इसके अलावा जनवरी में एनआईसीयू में 143 वहीं पीआईसीयू में 67 बच्चों की मौत हुई.
जनवरी में कुल 210 बच्चों की मौत.
फरवरी 2017 के आकड़ें:
फरवरी में एनआईसीयू में 117 वहीं पीआईसीयू में 63 बच्चों की मौत हुई.
फरवरी में कुल 180 बच्चों की मौत.
मार्च 2017 के आकड़ें:
मार्च में एनआईसीयू में 141 वहीं पीआईसीयू में 86 बच्चों की मौत हुई.
मार्च में कुल 227 बच्चों की मौत.
अप्रैल 2017 के आकड़ें:
अप्रैल में एनआईसीयू में 114 वहीं पीआईसीयू में 72 बच्चों की मौत हुई.
अप्रैल में कुल 186 बच्चों की मौत.
मई 2017 के आकड़ें:
मई में एनआईसीयू में 127 वहीं पीआईसीयू में 63 बच्चों की मौत हुई.
मई में कुल 190 बच्चों की मौत.
गौरतलब है कि बीआरडी मेडिकल कालेज में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 जिलों-गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़, बलिया, देवीपाटन आदि जिलों के अलावा पश्चिमी बिहार से गोपालगंज, सीवान, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण आदि जिलों के बच्चे भी इलाज के लिए आते हैं.