अपनी मजबूती के लिए प्रदेश के बाहर छोटे दलों के साथ भी गठबंधन कर सकती है बसपा
जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता दिख है प्रत्येक पार्टी अपने दम खम को विखरने में लगी है। उसी तर्ज पर बसपा भी अपने को और अधिक मजबूत करने की चाहत में मैदान में जूट गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अबकी ज्यादातर दूसरे राज्यों में भी गठबंधन करके ही चुनाव लडऩे की तैयारी है। खासतौर से उत्तर प्रदेश से लगे हुए राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों पर बसपा की नजर है। बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव को देखते अब अपनी नई रणनीति पर काम कर रही है।
- वह जिस दल का जहां प्रभाव वहां उससे गठबंधन करने की तैयारी में है।
- ऐसा इसलिए कि मंदिर और मोदी लहर को छोड़ दिया जाए तो बसपा के वोट प्रतिशत में लगातार इजाफा हुआ।
- यूपी में सपा से गठबंधन के साथ ही बसपा अब दूसरे राज्यों में भी क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरेगी।
- बसपा की नजर ऐसे राजनीतिक दलों पर है जिनका राज्य विशेष में प्रभाव है।
- उनके साथ गठबंधन करने पर पार्टी के न केवल प्रत्याशी जीतें बल्कि वोट बैैंक भी बढ़े।
- ऐसे दलों के संपर्क में पार्टी के वरिष्ठ नेता हैैं।
1984 को गठित दो दशक से राष्ट्रीय पार्टी है बसपा
दरअसल, 14 अप्रैल, 1984 को गठित बसपा दो दशक से राष्ट्रीय पार्टी है। बसपा अकेले दम पर ही देशभर में लोकसभा का चुनाव लड़ती रही है। पिछले चुनाव में पार्टी ने 25 राज्यों की 503 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे लेकिन उनमें से सफलता किसी को नहीं मिली थी। इसको देखते हुए हाल ही में अपने सबसे मजबूत गढ़ उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की नजर दूसरे राज्यों की लोकसभा सीटों पर भी है। इनमें बसपा और सपा का साथ तो रहेगा ही, संबंधित राज्य की प्रभावशाली क्षेत्रीय पार्टी से गठबंधन करके चुनाव लड़ा जाएगा।
- 447 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी। पार्टी को मिले थे मात्र 4.19 फीसद वोट।
- हालांकि, पूर्व में बसपा के 21 सांसद चुने गए थे और पार्टी को हासिल हुए थे 6.17 फीसद वोट।
- चूंकि, इस बीच यूपी की सत्ता गंवाने के साथ ही राज्यों के चुनाव में भी पार्टी का अच्छा नहीं रहा है प्रदर्शन।
- इसलिए उसके राष्ट्रीय स्तर के दर्जे पर मंडराने लगा है खतरा।
कई राज्यों के कई छोटे दलों के साथ बसपा करेगी गठबंधन
प्रदेश ही नही अन्य प्रदेशो में भी गठबंधन करने के प्रयास में जुटीं बसपा। सूत्र बताते हैैं कि छत्तीसगढ़ में जहां पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस (जे) के साथ गठबंधन तय है वहीं हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ बसपा का गठबंधन रहेगा।। सभी पहलुओं को देखते हुए बात आगे बढऩे पर गठबंंधन को अंतिम रूप देने के लिए खुद मायावती इन दिनों नई दिल्ली में हैैं। पार्टी का मानना है कि भले ही दूसरे राज्यों की ज्यादातर सीटों पर जीत असंभव हो लेकिन गठबंधन होने पर उसके वोट बैैंक में इजाफा होगा जिससे उसका राष्ट्रीय स्तर का दर्जा बचा रहेगा।
- इस संबंध में इनेलो के नेता अजय चौटाला ने हाल ही में मायावती से दिल्ली में मुलाकात की है।
- कर्नाटक में लोकसभा चुनाव भी जनता दल (एस) के साथ मिलकर बसपा लड़ेगी।
- इस तरह दूसरे राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों के संपर्क में भी बसपा के बड़े नेता है
रिपोर्ट:- संजीत सिंह सनी
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