एस.सी./एस.टी. एक्ट को लेकर मामला कोर्ट में लंबित होने के बाद कुछ बीजेपी-शासित राज्यो द्वारा इस काननू को लगभग निष्प्रभावी बनाने सम्बन्धी आदेश देने से नाराज बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे भाजपा का दलित समाज के प्रति निरंकुशता व क्रूरता करार देते हुए कहा कि दलित-विरोधी मानसिकता व उपायों के मामले में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व व स्वंय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का चाल, चरित्र व चेहरा पाखण्डी व दोहरे मापदण्ड वाला है.
मायावती ने की एससी/एसटी एक्ट को पुराने रूप में बहाल करने कि मांग:
बहुजन समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आज एससी/एसटी एक्ट को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए बताया, “बीजेपी-शासित राज्यों ख़ासकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान आदि सरकारों द्वारा एस.सी-एस.टी. कानून को लगभग निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना देने वाला सरकारी आदेश जारी करना अति-निन्दनीय है. और यह सामन्ती मानसिकता का द्योतक है.”
उन्होंने कहा कि “क्या ऐसा करके बीजेपी की सरकारों ने अपनी ही पार्टी के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर अविश्वास व्यक्त नहीं किया है, क्योंकि इनकी ही केन्द्र की सरकार ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा अर्जी दाखिल किया हुआ है और उस पर अभी सुनवाई जारी है.”
उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, “ऐसे में बीजेपी सरकारों द्वारा बिना थोड़ा इंतज़ार किये हुये नोटबन्दी की तरह ही काफी आपाधापी में एस.सी./एस.टी. कानून को भी लगभग व्यर्थ बना देने वाला सरकारी आदेश जारी करना बीजेपी के दोगले चरित्र को उजागर करता है”
कैसे करे सरकार पर विश्वास: मायावती
“इस स्थिति में देश की आमजनता व ख़ासकर देश के करोड़ों एस.सी./एस.टी. व पिछड़े वर्ग के लोग अपने हित के लिये कैसे रत्ती भर भी बीजेपी सरकार पर भरोसा कर सकते है?”
मायावती ने मांग कि की, बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच तालमेल का घोर अभाव व इनकी कथनी एवं करनी में जबर्दस्त अन्तर व अविश्वास को देखते हुये अब यह जरूरी है कि मोदी सरकार एस.सी./एस.टी. कानून, 1989 को दिनांक 20 मार्च 2018 के पहले वाले उसके असली रूप में बहाल कर. दलित शोषण व उत्पीड़न को रोकने के लिये तत्काल अध्यादेश लाकर उसको देश में हर जगह लागू करे, ताकि राज्यों की जातिवादी व सामंती मानसिकता वाली सरकारें अपनी मनमानी नहीं कर सकें.
मक्का मस्जिद विस्फोट मामले पर बात करते हुए उन्होंने कहा, हैदराबाद की मक्का मस्जिद में सन् 2007 में हुये बम विस्फोट के अति गंभीर मामले में भी सभी मुख्य दोषियों के बरी कर दिया गया. इससे साफ लगता है कि केन्द्र सरकार देश में कानून का राज बिल्कुल भी नहीं चाहती है.
सरकारी एजेंसियों का अपने हित में सरकार कर रही इस्तेमाल:
एजेंसियों को अपने हित में प्रयोग करने के मामले को लेकर भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, “इस सरकार के अन्तर्गत केन्द्रीय जाँच एजेन्सियों को राजनीतिक स्वार्थ के तहत् इस्तेमाल करते रहने की जो गलत नीति अपनाई गई है, वह देश में अब जंगलराज को बढ़ावा देने लगी है.” इससे घातक परिणाम सामने भी आने लगे हैं और बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोग यह मान कर चलने लगे हैं कि देश का कानून उन
लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. यह घातक प्रवृत्ति है.
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा, “बीजेपी की राज्य सरकारें अपने नेताओं पर से अपराधों के सैंकडों संगीन मामले भी कोर्ट से वापस लेकर यही साबित करने में लगी हुई है, वे लोग देश में कानून से ऊपर हैं और उनका हर अपराध कानून की पकड़ से बाहर है. कानून के साथ ऐसा खिलवाड़ देश के इतिहास का ऐसा काला अध्याय लिख रही है जिसे कभी भी मिटाया नहीं जा सकेगा और इससे पहले की बहुत देर हो जाये, देश की जनता को व्यापक देशहित के मद्देनजर इसके उपायों के बारे में अवश्य ही गंभीरतापूर्वक चिन्तन करना चाहिये.