बीजेपी को रोकने की कोशिश सभी दल कर रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में विपक्षी दल तरह-तरह के समीकरण आजमाने वाले हैं. सपा और कांग्रेस की तरह ही बसपा भी खुद को उतना ही प्रबल दावेदार मानती है और इसके लिए तमाम समीकरणों पर काम भी किया जा रहा है.
उपचुनावों को लेकर सियासत तेज:
2019 के आगामी लोकसभा चुनावों के पहले सभी पार्टियों के लिए गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव सीएम योगी के लिए परीक्षा माना जा रहा है. वहीँ गोरखपुर के अलावा फूलपुर में होने वाले चुनाव में डिप्टी सीएम केशव मौर्य की साख भी दाव पर होगी. इन दोनों लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख की चुनाव आयोग द्वारा घोषणा कर दी गयी है. 11 मार्च को इन सीटों पर चुनाव पर मतदान होंगे जबकि 14 को गिनती का काम होगा. वहीँ चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक दलों की बयानबाजी तेज हो गई है. जबकि बसपा ऐसे समीकरण को बनाने में जुटी है जिससे बीजेपी और अन्य दलों को मुश्किलें बढ़ाई जाएँ.
क्या है मायावती का ईबीएम प्लान
2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी हार भुलाकर बहुजन समाज पार्टी मिशन 2019 में जुट गई है. पार्टी ने इसके लिए खास रणनीति तैयार की है. इस रणनीति में दलित वोट बैंक के साथ ही ईबीएम फार्मूला तैयार किया गया है. ईबीएम यानी अति पिछड़े, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए बसपा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं.बसपा ने अपने इस अभियान की शुरुआत पीलीभीत से की है. कार्यक्रम में बसपा प्रदेश सचिव पूर्व विधायक आरएस कुशवाहा, राजभर समाज के प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष मिट्ठू लाल राजभर आदि मौजूद रहे. यहाँ अति पिछड़ों को लेकर आम माहौल बनाने पर भी बात हुई.
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ब्राह्मणों और मुस्लिमों के साथ अतिपिछड़ों को लाने की तैयारी
वहीँ अंदरूनी ख़बरें हैं कि बहुजन समाज पार्टी ने दलित वोटबैंक के साथ ही सर्वसमाज को जोड़ने के लिए मुहिम तेज कर दी है. इसमें सबसे ज्यादा ध्यान अति पिछड़ा वर्ग, ब्राह्मण और मुस्लिम वर्ग पर है. इसी को ईबीएम प्लान कहा जा रहा है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा जैसे नेता पिछड़ा वर्ग को पार्टी से जोड़ने के अभियान की अगुवाई करेंगे. जबकि ब्राह्मण समाज को जोड़ने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा कमान संभालेंगे. सतीश चन्द्र मिश्रा के अलावा मुनकाद अली, नौशाद अली आदि मुस्लिम नेता अभियान की अगुवाई करेंगे.
लोकसभा चुनाव से पहले उपचुनाव पर बसपा की नजर:
लोकसभा चुनाव 2014 में बुरी हार के बाद विधानसभा चुनावों में भी बसपा को निराशा ही हाथ लगी है. ऐसे में दलित वोटों के अलावा अति पिछड़ों और मुस्लिमों के साथ ब्राह्मणों को साधने की कोशिश में बसपा जुटी हुई है ताकि भाजपा को टक्कर दी जाये. इस प्रकार के समीकरण उपचुनाव में बसपा के लिए अच्छी खबर लेकर आते हैं या नहीं ये तो 14 मार्च को ही तय होगा. हालाँकि इस प्लान को पूरी तरह से लोकसभा चुनाव में सफल बनाने के लिए बसपा पूरी ताकत लगा रही है.