बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर केवल चुनावी स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाया। कहा कि ऐसी संकीर्ण सोच वाली सरकार से व्यापक जनहित व देशहित की कोई ज्यादा उम्मीद नहीं की जानी चाहिये। यही सब कुछ इनके शासन के लगभग चार वर्षों के कार्यकाल में अबतक देखने को भी मिला है। आज यही कारण है कि जबर्दस्त आंधी-तूफान में भारी जानमाल की हानि होने के मामले में भी बीजेपी की केन्द्र व इनकी उत्तर प्रदेश व राजस्थान आदि राज्यों की सरकारें घोर लापरवाह व पूरी तरह से कर्तव्यविहीन बनी हुई हैं।
नेतागण चुनावी दौरों में हैं व्यस्त
मायावती ने आज अपने बयान में कहा कि भयंकर आंधी-तूफान के कारण खासकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा आदि राज्यों में हुई व्यापक तबाही हुई है। जान-माल के बहुत बड़े नुकसान के मामले में भी खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गम्भीर उदासीनता व घोर लापरवाही भी पूरी तरह से देश की आमजनता के सामने है। पीड़ित हजारों परिवारों की सुध लेकर उन्हें राहत पहुंचाकर उनकी मुसीबतों को कम करने की संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने के बजाय बीजेपी के दोनों ही नेतागण चुनावी दौरों में व्यस्त हैं। क्योंकि उनकी राजनीति का खास मकसद ही हर हाल में चुनाव जीतना है। और फिर जनहित के विरूद्ध हर प्रकार की हठधर्मी लगातार करते रहना है। जो कि आजकल हर मामले में देश व उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है।
सरकार के ढुलमुल रवैये की कड़ी आलोचना की
इसी प्रकार एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) कानून, 1989 को लगभग निष्क्रिय बना देने के मामले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये की कड़ी आलोचना की। मायावती ने कहा कि यह केन्द्र सरकार की विफलता का ही परिणाम है कि वह इस गंभीर मामले का भी सही हल निकाल पाने में असमर्थ साबित हो रही है। दलित वर्ग के सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण के मामले में भी नरेन्द्र मोदी सरकार अब तक नकारात्मक हो रही है।
मंत्रियों की भूमिका बनी हुई है दलित-विरोधी
साथ ही इन मामलों में खासकर एनडीए के मंत्रियों की गुलाम मानसिकता की भत्र्सना करते हुये कहा कि राम विलास पासवान जैसे केन्द्रीय मंत्रियों की भूमिका ऐसी दलित-विरोधी बनी हुई है कि दूसरे लोग भी उस पर शर्मा जायें। यह बात किसी के भी गले के नीचे नहीं उतरने वाली है कि बीएसपी की सरकार में एससी-एसटी कानून कमजोर हुआ था। वास्तव में दलितों, पिछड़ों, मुस्लिम समाज व अपरकास्ट समाज के गरीबों का जो हित, कल्याण व सम्मान बीएसपी के शासनकाल में उत्तर प्रदेश में हुआ है। वह देश की आजादी के बाद के राजनीतिक इतिहास में एक सुनहरे पन्नों की तरह दर्ज है, जिसे कोरी बयानबाजी आदि से मिटाया नहीं जा सकता है।