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बजरंगबली की पूजा पड़ी बुक्कल को महंगी, उलेमाओं ने की इस्लाम से छुट्टी

भाजपा से टिकट मिलने पर एमएलसी चुनाव के नामांकन भरने से पहले प्रत्याशी नवाब बुक्कल के हनुमान मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने पर देवबंदी उलेमा ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने नवाब बुक्कल के कृत्य पर उन्हें इस्लाम मजहब से खारिज बताते हुए कहा कि अफसोस की बात है कि कुछ मुस्लिम नेता अपने फायदे के लिए इस्लाम विरोधी कार्य कर दूसरों की नजरों में चढ़ने के लिए अंजाम दे रहे हैं।

एमएलसी नामांकन से पहले हनुमान मंदिर में की थी पूजा:

समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़ बीजेपी के टिकट से विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन करने वाले बुक्कल नवाब को बजरंग बली की पूजा करना और घंटा चढ़ाना महंगा पड़ गया. देवबंदी उलेमाओं ने उनके इस काम पर नाराजगी जाहिर करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है.

देवबंदी उलेमाओं ने कहा कि बुक्कल इस्लाम में रहने लायक नहीं हैं. उलेमाओं के इस फैसले के बाद समाजवादी नेता पार्टी के आजम खान ने ऐतराज जताते हुए उलेमाओं को धर्म का ठेकेदार बताया, तो मुफ्ती अहमद ने कहा कि अगर आजम खान भी दूसरे मजहब की पूजा करेंगे तो वो भी इस्लाम से खारिज हो जाएंगे.

बता दें, बुक्कल नवाब ने 17 अप्रैल को बीजेपी की ओर से विधानपरिषद के उम्मीदवार का नामांकन भरने से पहले लखनऊ स्थित दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर पहुंचे और 20 किलो का पीतल का घंटा चढ़ाया और जय श्रीराम के जयकारे भी लगाए थे. बुक्कल नवाब ने इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर के लिए 10 लाख रुपए का सोने का मुकुट भी दान देने का भी एलान किया था.

देवबंदी उलेमाओं का एतराज:

देवबंदी उलेमाओं ने इस्लाम से खारिज करते हुए कहा कि बुक्कल इस्लाम में रहने लायक नहीं हैं. उलेमाओं का कहना है कि जो भी अल्लाह के अलावा किसी और को पूजता है तो वह इस्लाम में रहने के लायक नहीं है.

बुक्क्ल नवाब की प्रतिकिया:

देवबंदी उलेमाओं के इस फैसले के बाद बुक्क्ल नवाब ने कहा कि उन्हें इस फतवे से कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम होने के साथ ही मैं हनुमान भक्त भी हूं, भगवान राम की तरह भगवान हनुमान भी हमारे पूर्वज हैं. भारत का संविधान भी हमें किसी भी धार्मिक कार्य करने की पूरी आजादी देता है’. इस दौरान उन्होंने राम मंदिर पर भी बयान दिया, उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनना चाहिए.

बुक्कल नवाब को मिला आजम का साथ:

सपा के गद्दावर नेता आजम खान उलेमाओं के इस फैसले पर ऐतराज जताया है, उन्होंने कहा कि आखिर दूसरा व्यक्ति कैसे तय कर सकता है कि कोई मुसलमान रहेगा या नहीं. उलेमाओं के इस फैसले के बाद समाजवादी नेता आजम खान ने ऐतराज जताते हुए उलेमाओं को धर्म का ठेकेदार बताया.

सपा नेता आजम खां के बयान के बाद मुफ्ती अहमद ने कहा कि अगर आजम खान भी दूसरे मजहब की पूजा करेंगे तो वो भी इस्लाम से खारिज हो जाएंगे.

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