दशहरा यानि वो दिन, जिस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता हो और रावण का पुतला दहन करने का मक़सद भी सिर्फ यही होता है कि आज का समाज ये जान सके की किस तरह रावण दहन करने के बाद बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत हुई थी। लेकिन क्या आप जानते हो कि रावण कल तक ज़िंदा था ? आपको यकीन नहीं होता तो हमारी ये ख़ास रिपोर्ट देखिये..

दशहरे में नहीं दहन होता है यहाँ रावण:

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद कस्बे में रावण कल तक जिंदा था. दशहरा के दिन यहाँ रावण दहन नहीं किया गया और रावण जिंदा रहा.

आप ये ज़रूर सोच रहे होंगे की आखिर सिकंदराबाद में रावण दहन क्यों नहीं किया जाता है? और आखिर इसके पीछे क्या मान्यता हो सकती है ?

चौदस में मंदोदरी के कारण रावण का होता है दहन:

लेकिन अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप ये बिलकुल गलत है क्योंकि ऐसा बिलकुल नहीं कि सिकंदराबाद में रावण दहन नहीं किया जाता हो, क्योंकि सिकंदराबाद में भी रावण के पुतले का दहन किया जाता है लेकिन विजय दशमी के दिन नहीं बल्कि चौदश, यानि दशहरा के चार दिन बाद।

रामलीला कमेटी सदस्यों ने बताया कि जब भगवान् श्रीराम ने रावण का वध किया था तो रावण की पत्नी मंदोदरी रावण को जीवित कराने के लिए सिकंदराबाद के किशन तालाब पर लाई थी, जबकि मंदोदरी ने 4 दिन तक रावण को सिकंदराबाद में ही रखा था.

इतना ही नहीं मंदोदरी रावण को सिकंदराबाद से तब ले गई थी, जब उसे पूरी तरह यकीन हो गया था कि रावण का वध हो चुका है।

बीती रात हुआ रावण का दहन:

हालाँकि बीती देर रात यानी चौदश की रात में बुलंदशहर सिकंद्राबाद में भी रावण के पुतले का दहन कर दिया गया है, लेकिन भगवान् श्रीराम और रावण से जुड़ी ये बात कम ही लोग जानते हैं.

शायद ही ज्यादा लोगों को पता हो कि बुलंदशहर के सिकंदराबाद क़स्बे में रावण के पुतले का दहन विजयदशमी के चार दिन बाद होने की वजह क्या है.

इस की वजह लंकेश की पत्नी मंदोदरी हैं, जिन्होंने चार दिन तक रावण को सिकंदराबाद में रखा था, क्योंकि मंदोदरी सोचती थी कि यहाँ रावण जीवित हो सकता है

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