उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले सभी विरोधी दलों ने मौजूदा सरकार को ध्वस्त कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर घेर रखा है।
कैग के सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य:
- सूबे की समाजवादी सरकार अपनी ध्वस्त कानून-व्यवस्था के चलते विरोधियों के निशाने पर हैं।
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हालाँकि, इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
- लेकिन हाल ही में कैग द्वारा सूबे के 20 जिलों में कराये गए सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में कानून व्यवस्था का हाल उस से भी ज्यादा बुरा है, जितना हम जानते हैं।
साल 2015 से रेप के मामलों में 43 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी:
- कैग के सर्वे के परिणामों से यह बात सपष्ट हुई है कि, प्रदेश में साल 2015 से 43 फ़ीसदी रेप के मामले बढ़े हैं।
- रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012-13 में नाबालिग लड़कियों से रेप की संख्या 1033 थी।
- 2014-15 में यह आंकड़ा 1619 पर पहुंच गया।
- वहीँ नाबालिग लड़कियों से रेप की कोशिश के मामले 2012-13 में 2280 थे।
- जो आंकड़ा 2014-15 में बढ़कर 5297 तक पहुँच गया।
- 2014-15 8.74 फ़ीसदी महिलाओं के साथ रेप हुआ, वहीँ करीब 9.26 महिलाओं को दहेज़ उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा।
- करीब 23.66 फ़ीसदी महिलाओं के साथ रेप का प्रयास किया गया।
- वहीँ किडनैपिंग के मामले 26.60 फ़ीसदी रहे।
2010 से 2015 तक रेप के 11,847 मामले:
- कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में साल 2010 से लेकर 2015 तक रेप के 11,847 मामले दर्ज किये गए हैं।
- साल 2012-15 के बीच करीब 7943 रेप की घटनाएँ हुई।
- जिस हिसाब से अखिलेश सरकार के तीन साल के कार्यकाल में हर रोज करीब 7 महिलाओं का रेप होता है।
ये हैं यूपी के वहशी जिले:
- कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 से 2015 के बीच अलीगढ़ में 392, मुरादाबाद में 377, इलाहाबाद में 348।
- इसके अलावा मेरठ में 346 और आगरा-लखनऊ में संयुक्त रूप से 328 रेप के मामले दर्ज किये गए हैं।
- वहीँ दहेज़ हत्या के मामलों में पिछले 5 सालों में 11 फ़ीसदी बढ़ोत्तरी हुई है।
किडनैपिंग और किडनैपिंग के बाद रेप के मामलों में हुई बढ़ोत्तरी:
- रिपोर्ट में सूबे के अन्दर किडनैपिंग और किडनैपिंग के बाद रेप के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है।
- किडनैपिंग के सबसे ज्यादा मामले राजधानी लखनऊ में दर्ज किये गए हैं।
- लखनऊ में 1205, मेरठ में 1125, अलीगढ़ में 1067, आगरा में 979 और इलाहाबाद में 767 मुक़दमे दर्ज किये गए हैं।
- साल 2010 से 2015 के बीच किडनैपिंग के 36354 मामले बढ़े हैं।
- 2010-11 के बीच 5145 मामले, 2011-12 के बीच 6678 मामले, 2012-13 के बीच 7057 और 2013-14 के बीच 8510 मामले और 2014-15 के बीच 8,964 मामले।
नहीं है पर्याप्त पुलिस बल:
- सूबे में महिलाओं की सुरक्षा के कई दावों के बावजूद प्रदेश की 1 लाख की जनसंख्या पर सिर्फ 81 पुलिसवाले हैं।
- जबकि यह आंकड़ा, 1 लाख की जनसंख्या पर 178 होना चाहिए।
- गौरतलब है कि, 2011 जनगणना के अनुसार यूपी की जनसंख्या करीब 19.98 करोड़ है।
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Divyang Dixit
Journalist, Listener, Mother nature's son, progressive rock lover, Pedestrian, Proud Vegan, व्यंग्यकार