प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कल इंसानियत को शर्मशार कर देने वाली घटना हुई है! वाराणसी में बकरीद के दूसरे दिन बुधवार को यहां हजारों लोगों के बीच बेजुबान ऊंट की कुर्बानी दी गई। इसका उद्देश्य यह है कि इंसान के अंदर की बुराई ख़त्म हो और वह जीवन भर सच्चाई के रास्ते पर चलें। इसीलिए प्रदेश भर से आए लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर छतों, खिड़कियों आदि पर खड़े होकर इसे देखते हैं।
सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बावजूद क्यों दी गई बेजुबान ऊँट की बलि:
- कुर्बानी देने वाले परिवार के मुखिया इलियास ने बताया कि यह परम्परा ब्रिटिश काल के समय साल 1912 से उसके पूर्वजों ने इसकी शुरुआत की थी।
- मन्नत मांगने वाले सात परिवार कुर्बानी का ऊंट खरीदते हैं।
- उन्ही परिवारों के लिए ये ऊंट कुर्बान होता है।
- इस ऊँट के सात टुकड़े किए जाते हैं।
- ये टुकड़े सातों परिवार में बांट दिए जाते हैं।
- सभी अपने-अपने हिस्से को मोहल्ले में बांट देते हैं।
- कुर्बानी के बाद ऊंट के हिस्सों से ताबीज भी बनाया जाता है।
- इस बार का ऊंट मिर्जापुर से 40 हजार रुपए में खरीद कर लाया गया था।
- इसे कुर्बानी से 10 दिन पहले वहां से खरीदा गया था।
- जबकि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इस इस बलि पर रोक लगा रखी है।
- तो फिर इस ऊँट की बलि क्यों दी गई ?
- इस तरह की बलि देना कितना उचित वो भी तब जब देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा राखी ?
- वराणसी के लोगों ने भी इस बेजुबान की कुरबानी को अपनी जान को जोखिम में डाल कर देखा।
- इंसानियत के लिये शर्मिंदा करने वाली बात और क्या होगी की एक बेजुबान जानवर की बलि को रोकने की जगह उसे देखने के लिये अपनी जान की भी परवाह नहीं करता।
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